۱۴ خرداد ۱۴۰۳ |۲۶ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | Jun 3, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/अगर उनकी हिफ़ाज़त में कोताही नहीं की है तो ज़िम्मेदार नहीं हैं (यानी नुक़सान की भरपाई ज़रूरी नहीं हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवालः कभी कभी मस्जिद में सजदागाह हाथ से छूट कर टूट जाती है या धोते वक़्त बर्तन वग़ैरह जैसी चीज़ों का नुक़सान हो जाता है, तो क्या इस हालत में हम उसके लिए ज़िम्मेदार हैं?

जवाबः अगर उनकी हिफ़ाज़त में कोताही नहीं की है तो ज़िम्मेदार नहीं हैं (यानी नुक़सान की भरपाई ज़रूरी नहीं हैं।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .