۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / अमीरुल मोमिनीन इमाम अली (अ) ने एक रिवायत में ज़ालिम और मज़लूम के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी बयान की है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "नहज अल-बलागा" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال الامیرالمؤمنين عليه السلام:

وَ كُونَا لِلظَّالِمِ خَصْماً وَ لِلْمَظْلُومِ عَوْناً

अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) ने फ़रमाया:

अत्याचारी (ज़ालिम) का शत्रु और उत्पीड़ित (मज़लूम) का सहायक बने रहना।

नहज अल-बलागा: पत्र संख्या 47

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