۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / हज़रत इमाम अली (अ.स.) ने एक रिवायत में इशारा किया है कि ऐसा सम्मान अपमान में बदल जाता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस को "शरह नहज उल-बलागा, इब्न अबील-हदीद" किताब से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال الامام العلی علیه السلام:

مَنْ طَلَبَ عِزّا بِظُلْمٍ وَباطِلٍ أَوْرَثَهُ اللّه ُ ذُلاًّ بِإِنْصافٍ وَ حَقٍّ؛

हज़रत इमाम अली (अ) ने फ़रमाया:

जो कोई अन्याय और अधर्म (झूठ) के माध्यम से सम्मान चाहता है, तो अल्लाह, अतिशयोक्ति, सत्य और न्याय के साथ अपमान को उसकी नियति घोषित करता है।

शरह नहज उल-बलागा, इब्न अबील-हदीद, भाग 20, पेज 309, हदीस 536

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