۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/ ब्याज खाना चाहे लेनदेन मे हो,या क़र्ज मे हो हराम हैं, और जिस तरह ब्याज खाना हराम है इसी तरह ब्याज लेना ब्याज देना और ब्याज पर आधारित मामले का जारी करना भी हराम है बल्कि ऐसे मामले को लिखना या इस पर गवाह बनाना भी हराम हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली सिस्तानी ने पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं, उनके लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ प्रस्तुत किया जा रहा हैं।

सवाल:शरीयत की नज़र में ब्याज खाने का क्या हुक्म है? 

उत्तर: ब्याज खाना चाहे लेनदेन मे हो, या क़र्ज मे हो हराम हैं, और जिस तरह ब्याज खाना हराम है उसी तरह ब्याज लेना ब्याज देना और ब्याज पर आधारित मामले का जारी करना भी हराम है बल्कि ऐसे मामले को लिखना या इस पर गवाह बनाना भी हराम हैं।

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