हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَلِيَعْلَمَ الَّذِينَ نَافَقُوا وَقِيلَ لَهُمْ تَعَالَوْا قَاتِلُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ أَوِ ادْفَعُوا قَالُوا لَوْ نَعْلَمُ قِتَالًا لَّاتَّبَعْنَاكُمْ هُمْ لِلْكُفْرِ يَوْمَئِذٍ أَقْرَبُ مِنْهُمْ لِلْإِيمَانِ يَقُولُونَ بِأَفْوَاهِهِم مَّا لَيْسَ فِي قُلُوبِهِمْ وَاللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا يَكْتُمُونَ वलेयाअलमल लज़ीना नाफ़क़ू व क़ीला लहुम तआलो क़ातेलू फ़ी सबीलिल्लाहे अविदफ़ऊ क़ालू लौ नअलमो क़ेतालल लत्तअनाकुम हुम लिलकुफ्रे यौमएज़िन अक़रबो मिनहुम लिल लाएमाने यक़ूलूना बेअफ़वाहेहिम मा लैसा फ़ी क़ोलूबेहिम वल्लाहो आअलमो बेमा यकतमून।" (आले-इमरान, 167)
अनुवाद: और पाखंडी कौन है? जब उनसे कहा गया कि आओ और अल्लाह की राह में लड़ो। या (कम से कम) बचाव करें। तो उन्होंने कहा. कि अगर हमें मालूम होता कि जंग होगी तो हम आपके पीछे हो लेते जब वो ये कह रहे थे, उस वक्त वो ईमान से ज्यादा कुफ्र के करीब थे। वे अपने मुँह से ऐसी बातें कहते हैं जो उनके हृदय में नहीं होतीं। और अल्लाह भली-भांति जानता है जो कुछ वे छिपाते हैं।
क़ुरआन की तफसीर:
1. ओहोद की लड़ाई की पीड़ा और हार में पाखंडियों की पहचान करना प्रभु के लक्ष्यों में से एक था।
2️⃣ कठिन परिस्थितियाँ (असफलताएँ, दुःख और कष्ट) पाखंडियों और कम आस्था वाले लोगों के समूह को सच्चे और दृढ़ विश्वासियों से अलग करने का एक साधन हैं।
3️⃣ पैगंबर (स) के युग में उहुद की लड़ाई की हार तक मुसलमानों के बीच अज्ञात पाखंडियों की उपस्थिति।
4️⃣ काफिरों के खिलाफ युद्ध में शामिल होने के लिए पैगंबर (स) के निमंत्रण के प्रति पाखंडियों या कुछ मुसलमानों की अवज्ञा।
5️⃣ धर्म के दुश्मनों के खिलाफ युद्ध (प्रारंभिक जिहाद) और उनके हमले की स्थिति में रक्षा (रक्षात्मक जिहाद) धार्मिक समुदाय की दो शरीयत जिम्मेदारियां हैं।
6️⃣ मुनाफ़िकों को ओहोद के मैदान में यह कह कर उपस्थित न होने का बहाना बनाना कि वहाँ कोई युद्ध नहीं हुआ था।
7️⃣युद्ध के विज्ञान और कला से परिचित न होने की अभिव्यक्ति पाखंडियों के लिए उहुद की लड़ाई में उपस्थित न होने का एक बहाना है।
•┈┈•┈┈•⊰✿✿⊱•┈┈•┈┈•
तफ़सीर रहनामा, सूरह अल-इमरान