हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَلَقَدْ كُنتُمْ تَمَنَّوْنَ الْمَوْتَ مِن قَبْلِ أَن تَلْقَوْهُ فَقَدْ رَأَيْتُمُوهُ وَأَنتُمْ تَنظُرُونَ वलक़द कुंतुम तमन्नूनल मौता मिन कब्ले अन तलक़ूहो फ़क़द राएतोमूहो व अंतुम तंज़ोरून (आले-इमरान, 143)
अनुवाद: और मृत्यु का सामना करने से पहले, आपने इसके लिए क्या चाहा था? अब आप इसे देखिए और अब भी (अपनी आँखों से देखते हुए) फिर इससे क्यों कतराते हो?
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ बद्र की लड़ाई के बाद सद्र इस्लाम के कुछ विश्वासियों की शहादत मांगना, लेकिन उहुद की लड़ाई के अवसर पर आश्चर्यचकित और चिंतित होना।
2️⃣ इस्लाम के राष्ट्रपति के कुछ विश्वासियों की मृत्यु और शहादत से भयभीत होना।
3️⃣ युद्धक्षेत्र, वह स्थान जहां व्यक्तियों का आंतरिक सत्य और व्यक्तित्व प्रकट होता है।
4️⃣ इस्लाम के राष्ट्रपति के कुछ विश्वासियों का ईश्वरीय परीक्षा में सफल न होना।
5. इस्लाम के राष्ट्रपति के प्रति कुछ मुसलमानों के व्यवहार और विश्वास में दोहरापन और सद्भाव की कमी।
6. अहद की लड़ाई एक भयंकर लड़ाई थी और योद्धा मुसलमानों की नजर में मौत का प्रतीक था।
7️⃣ शहादत मांगना और धर्म के दुश्मनों के साथ युद्ध के मैदान में उपस्थित होना इस्लाम की नजर में एक अनमोल विशेषाधिकार है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान