۱۴ آذر ۱۴۰۳ |۲ جمادی‌الثانی ۱۴۴۶ | Dec 4, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / यह आयत मुसलमानों को पाखंडियों के प्रभाव से बचने और सभी परिस्थितियों में अल्लाह पर भरोसा रखने की चेतावनी देती है। विश्वासियों की पहचान परीक्षा के समय होती है, जबकि पाखंडी लोग कठिन समय में अपनी सच्चाई प्रकट करते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم  बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

وَإِنَّ مِنْكُمْ لَمَنْ لَيُبَطِّئَنَّ فَإِنْ أَصَابَتْكُمْ مُصِيبَةٌ قَالَ قَدْ أَنْعَمَ اللَّهُ عَلَيَّ إِذْ لَمْ أَكُنْ مَعَهُمْ شَهِيدًا   व इन्ना मिनकुम लमन लयबत्तेअन्ना फ़इन असाबसकुम मुसीबतुन क़ाला क़द अन्अमल्लाहो अलय्या इज़ लम अक़ुन मआकुम शहीदा (नेसा 72)

अनुवाद: तुम में ऐसे लोग भी घुस आये हैं जो लोगों को रोकेंगे और अगर तुम पर कोई मुसीबत आ पड़े तो कहेंगे कि अल्लाह ने हम पर मेहरबानी की, क्योंकि हम उनके साथ न थे।

विषय:

पाखण्डियों की कायरता तथा परीक्षा के समय विश्वास की पहचान 

पृष्ठभूमि:

यह आयत सूर ए नेसा से है, जो मदीना में नाज़िल हुई थी। इसका प्रसंग युद्ध और मुकदमे के समय मुस्लिम वर्ग के पाखंडियों के व्यवहार का वर्णन करता है। यह आयत विशेष रूप से उन लोगों के रवैये को दर्शाती है जो युद्ध या कठिन परिस्थितियों में पीछे हटने का बहाना ढूंढते हैं।

तफ़सीर:

1. व इन्ना मिनकुम लम लयोबय्येना: इस धारा में उन लोगों की ओर इशारा किया जा रहा है जो मुसलमानों को आगे बढ़ने से रोकते हैं। यह पाखंडी लोग ही हैं जो मुसलमानों को हतोत्साहित करने के लिए बहाने और डर पैदा करते हैं।

2. फ़इन असाबतकुम मुसीबतुन: जब मुसलमानों पर कोई विपत्ति आती है, जैसे युद्ध में हार या जान का नुकसान, तो ये मुनाफ़िक़ ख़ुशी मनाते हैं और कहते हैं कि भगवान ने उन्हें बचा लिया है।

3. क़ाला क़द अन्अमल्लाहो: यह वाक्य उनके पाखंडी व्यवहार को दर्शाता है. वे अपनी अनुपस्थिति को अल्लाह की ओर से इनाम कहते हैं, जबकि वास्तव में यह उनकी कायरता और विश्वास की कमी का परिणाम है।

4. इज़ लम अकुन मअहुम शहीदा: यहां "शहीद" का सीधा सा मतलब है अस्तित्व में रहना, यानी वे शेखी बघारते हैं कि उन्होंने मुसलमानों के साथ मुकदमे में हिस्सा नहीं लिया.

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • पाखंडियों की भूमिका: पाखंडी लोग मुसलमानों को कमजोर करने की कोशिश करते हैं और कठिन परिस्थितियों में पीछे हट जाते हैं।
  • अल्लाह की नेमत को गलत समझना: पाखंडी लोग अल्लाह की नेमत को गलत समझते हैं और इसे अपनी कायरता का इनाम समझते हैं।
  • परीक्षण और विश्वास: यह आयत इंगित करती है कि सच्चे विश्वासियों की परीक्षा मुसीबत के समय में होती है।

परिणाम:

यह आयत मुसलमानों को पाखंडियों के प्रभाव से बचने और हर स्थिति में अल्लाह पर भरोसा रखने की चेतावनी देती है। विश्वासियों की पहचान परीक्षा के समय होती है, जबकि पाखंडी लोग कठिन समय में अपनी सच्चाई प्रकट करते हैं।

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सूर ए नेसा की तफ़सीर

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