हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَلَا تَحْسَبَنَّ الَّذِينَ قُتِلُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ أَمْوَاتًا بَلْ أَحْيَاءٌ عِندَ رَبِّهِمْ يُرْزَقُونَ वला तहसबन्नल लज़ीना क़ोतेलू फ़ी सबिलिल्लाहे अमवातन बल आहयाउन इन्दा रब्बेहिम युरज़ूक़ून (आले इमरान, ,169)
अनुवाद: और जो लोग अल्लाह की राह में मारे गए, उन्हें मरा हुआ मत समझो, बल्कि वे जीवित हैं, अपने रब से जीविका प्राप्त कर रहे हैं।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣अल्लाह तआला की ओर से शहीदों और विश्वासियों के जीवित बचे लोगों को सांत्वना और उपचार।
2️⃣ जो लोग ईश्वर की राह में शहीद हो गए वे जीवित हैं और अपने रब की उपस्थिति में हैं।
3️⃣ कुछ लोग अल्लाह की राह में मारे गए लोगों (शहीदों) को मरा हुआ समझते हैं।
4️⃣ मरने के बाद की दुनिया (बरज़ख) में शहीदों की एक खास जिंदगी से वंचित होना।
5️⃣ बरज़ख की दुनिया में भी जिंदगी और जीविका के बीच जुड़े रहना।
6️⃣ केवल पवित्र पैगंबर (स) जैसे लोग ही शहीदों के जीवन और उसकी गुणवत्ता को समझ सकते हैं, आम लोग नहीं।
7️⃣खुदा की राह में जिहाद करने और शहादत देने के लिए प्रोत्साहन और प्रेरणा।
8️⃣ शहीदों के लिए ईश्वरीय दरबार से जीविका प्राप्त करना उसकी प्रभुता का प्रकटीकरण है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान