हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
أَفَمَنِ اتَّبَعَ رِضْوَانَ اللَّهِ كَمَن بَاءَ بِسَخَطٍ مِّنَ اللَّهِ وَمَأْوَاهُ جَهَنَّمُ وَبِئْسَ الْمَصِيرُ अफ़मनित तबइन रिज़वानल्लाहे कमन बाआ बेसखतिम मिनल्लाहे व मावाहो जहन्नमो व बेअसल मसीर (आले-इमरान, 162)
अनुवाद: धन्य है वह व्यक्ति जो सदैव ईश्वर की इच्छा का पालन करता है। वह उस व्यक्ति की तरह हो सकता है जो परमेश्वर के क्रोध के कारण घर चला गया है। और जिसका अन्तिम ठिकाना नरक है और वह बुरा ठिकाना कौन सा है?
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣कुछ लोग ईश्वर की प्रसन्नता और खुशी पाने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ लोग अपने ऊपर ईश्वर के क्रोध और कोप का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
2️⃣ ईश्वर की प्रसन्नता चाहने वाले विश्वासियों का भाग्य उन लोगों के भाग्य के समान नहीं है जो भगवान के क्रोध के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं।
3️⃣ विश्वसनीयता और विश्वासघात से बचना ईश्वर की प्रसन्नता और प्रसन्नता प्राप्त करने का साधन है।
4️⃣ यह तथ्य कि पवित्र पैगंबर (स) ईश्वर की प्रसन्नता चाहते थे, इस बात का प्रमाण है कि वह सभी प्रकार के विश्वासघात से मुक्त हैं।
5️⃣ युद्धभूमि से भाग जाना और युद्ध में भाग न लेना ईश्वर के क्रोध का मार्ग प्रशस्त करता है।
6️⃣ पवित्र पैगंबर (स) के विश्वासघात के प्रति निष्ठाहीनता ईश्वर के क्रोध का मार्ग प्रशस्त करती है।
7️⃣ जिन लोगों ने अपने ऊपर परमेश्वर के क्रोध और क्रोध का मार्ग बना लिया है, उनका अंत बुरा है और उनका निवास स्थान नरक है।
8️⃣ कर्मों के आधार पर लोगों का अलग-अलग भाग्य ईश्वर के न्याय की झलक है।
•┈┈•┈┈•⊰✿✿⊱•┈┈•┈┈•
तफ़सीर राहनुमा सूर ए आले-इमरान