हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ 10 जुलाई 2024 | हज़रतगंज के तारीखी़ इमामबाड़ा शहनाजफ में मजलिस ए अजा़ का सिसिला जारी है, इन मजालिस को फरज़नन्दे अयातुल्लाह रोशन अली ख़ान नजफी मरहूम, मौलाना अली अब्बास खान साहब खि़ताब फ़रमा रहें हैं।
कल मौलाना ने मजलिस को खि़ताब करते हुए फ़रमाया के इलाही निज़ाम को समझने लिए अल्लाह की 3 सिफ़ात को समझना ज़रूरी है 1 . इल्म , 2 . क़ुदरत , 3. हिकमत | खुदा वनदे मुताल का इल्म मुम्किनात के इल्म की तरह नहीं है , उलमा इल्म को दो हिस्सों में तक़सीम करते हैं।
एक है इल्म ए हुसूली और दूसरा इल्म ए हुज़ूरी , दोनों इल्मो में फ़र्क़ है,इल्म इ हुसूली में मालूम की तस्वीर आती है और इल्म ए हुज़ूरी में खुद मालूम आलिम क पास मौजूद होता है पूरी कायनात अल्लाह के हुज़ूर में हाज़िर है अल्लाह जिस तरह अपनी ज़ात क इल्म रखता है उसी तरह अपनी मख़लूक़ात का इल्म रखता है।
मख़लूक़ात की ख़िलक़त से पहले , ख़िलक़त के वक़्त और ख़िलक़त के बाद एक जैसा इल्म रखता है | लेहाज़ा इल्म इ इलाही के मुतालिक 5 चीज़े हुई | 1. अपने आप का इल्म , 2.जो हो चूका है उसका इल्म, 3. जो है उसका इल्म , 4. जो होगा उसका इल्म , 5 . जो नहीं हो सकता उसका इल्म।
इमाम मुहम्मद बाकिर अस फरमाते हैं क़ायनात में जो कुछ है , अल्लाह उसका इल्म हमेशा से इस तरह से रखता है जिस तरह से उसकी ख़िलक़त से पहले रखता था | (अल काफी : खंड 1 , प :107 )
इसके बाद मौलाना ने इमाम हुसैन की करबला में आमद के हवाले से मसाइब बयान किए तो मजमा अश्कबार होगया।