हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "अलग़दीर" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الباقر علیه السلام
ما مِنْ رَجُلٍ ذكَرَنا اَوْ ذُكِرْنا عِنْدَهُ يَخْرُجُ مِنْ عَيْنَيْهِ ماءٌ ولَوْ مِثْلَ جَناحِ الْبَعوضَةِ اِلاّ بَنَى اللّهُ لَهُ بَيْتاً فى الْجَنَّةِ وَ جَعَلَ ذلِكَ الدَّمْعَ حِجاباً بَيْنَهُ وَ بَيْنَ النّارِ
हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अ.स. ने फरमाया:
कोई ऐसा आदमी नहीं है कि जिसने हमारा ज़िक्र किया या उसके सामने हमारा तज़केरा हुआ और हमारे मासाएब को सुनकर उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े, चाहे वह मक्खी के पर के बराबर ही हो,तो उसके लिए इस अमल का अज़्र इसके सिवा और कुछ नही कि अल्लाह तआला जन्नत में इसके लिए एक घर बनाएगा और इसी आंसू के कतरे को उसके लिए जहन्नम की आग से ढाल करार देगा।
अलग़दीर,भाग 2,पेज 202