۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
आगा

हौज़ा / करम एजेंसी (परचानार) की हालिया घटनाओं पर मरजय तकलीद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अल्हाज हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने दु:ख व्यक्त करते हुए शहीदों के लिए दुआ की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,करम एजेंसी (परचानार) की हालिया घटनाओं पर मरजय तकलीद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अल्हाज हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने दु:ख व्यक्त करते हुए शहीदों के लिए दुआ की।

करम एजेंसी (पारा चिनार) के प्रियजनों की ख़िदमत में
بسم الله الرحمن الرحيم
قال الله سبحانه: (مِنَ الْمُؤْمِنِينَ رِجَالٌ صَدَقُوا مَا عَاهَدُوا اللَّهَ عَلَيْهِ ۖ فَمِنْهُمْ مَنْ قَضَىٰ نَحْبَهُ وَمِنْهُمْ مَنْ يَنْتَظِرُ ۖ وَمَا بَدَّلُوا تَبْدِيلًا(صدق اللہ العلي العظیم).
बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हमें पिछले कई दिनों से करम एजेंसी (पारा चिनार) के संबंध में चिंताजनक खबरें मिल रही हैं तमाम सरकारी और सुरक्षा एजेंसियों की आंखों के सामने आतंकी लगातार मोमेनीन को निशाना बना रहे हैं ,आश्चर्य की बात है कि वह क़ौम कब तक अपने जवानों के जनाज़े अपने कंधों पर उठाती रहेगी, जिनकी पाकिस्तान की स्थापना में मौलिक भूमिका थी और अब भी है, यह समझ से परे है कि क्या इन आतंकवादियों के सरग़नाओं का इतना प्रभाव है कि देश की सभी संस्थाएँ असहाय हैं?

देश के प्रत्येक नागरिक को शांति व्यवस्था प्रदान करना और व्यावहारिक कदम उठाना सरकार की जिम्मेदारी है ताकि नागरिकों को यह अहसास हो कि सरकार और संस्थाएं कथनी से हटकर व्यवहारिक कार्रवाई में विश्वास भी रखती हैं और यह सभी को स्पष्ट हो कि दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां विभिन्न धर्मों के लोग अपने-अपने धर्म और आस्था का पालन करते हुए एक साथ शांतिपूर्वक रह रहे हैं।

शांतिपूर्ण पारस्परिक जीवन को बढ़ावा देने में उलेमाए किराम और प्रभावशाली लोगों को सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभानी चाहिए और मोमिनों को चाहिए कि इस मुश्किल घड़ी में अपने भाइयों को आतंकियों के झुंड में अकेला न छोड़ें, कम से कम उन्हें अपनी दुआओं में ज़रूर शामिल रखें।

मेरे प्रिय! यह सच है कि हम आपसे मीलों दूर हैं और आपकी सेवा में उपस्थित नहीं हो सकते, लेकिन आप हमारे दिलों में हैं , हमारी दुआओं में हैं।

केवल हमारी दुआओं में नहीं बल्कि ख़ुदा की रहमत और अहलेबैत अस का लुत्फ़ और करम भी आपके साथ है और हमारे शहीद अहलेबैत अस के जवार में और उनकी विशेष शफ़ाअत के अधीन हैं। इमाम ज़माना अज की नज़रे रहमत आपके शामिले हाल है। 
وَسَيَعْلَمُ الَّذِينَ ظَلَمُوا أَيَّ مُنقَلَبٍ يَنقَلِبُونَ ولا حول ولا قوة إلا بالله العلی العظیم ۔ 
वस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाहे व बरकातहु
बशीर हुसैन नजफ़ी
नजफ़ अशरफ़ इराक
21 मुहर्रम 1446

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