हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ब्रिटिश में तोड़फोड़ हिंसक प्रदर्शन के दौरान लीवरपूल, हल, ब्रिस्टल, मैनचेस्टर, ब्लैकपूल और बेलफास्ट में बोतलें फेंकी गईं कई जगहों पर पुलिस पर हमले किए।
जो गोरे कभी आधी दुनिया पर राज किया करते थे वे अब हम जैसे लोगों से कह रहे हैं कि आपने यहां आकर हमारी नौकरियां छीन लीं हैं आख़िर ऐसा क्यों है?
लगभग 70-75 साल पहले हमारे पूर्वज गोरों से आज़ादी पाने के लिए अपने घर से निकले थे.ब्रिटेन में होटलों पर दुकानों पर मस्जिदों पर हमले हो रहे हैं।
वज़ीर ए आज़म कहते हैं कि यह बदमाश हैं वहीं मीडिया कहता है कि ये प्रो-यूके विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं ब्रिटेन में तीन बच्चियों की मौत के बाद हिंसक प्रदर्शन अब तक 90 लोग गिरफ़्तारकोई यह नहीं बताता कि यह ग़ुस्सा गोरे देशों से आए आप्रवासियों पर क्यों नहीं निकलता है।
सरकार भी और गोरे नागरिक भी अपने घरों के दरवाजे़ खोलकर उनका स्वागत करते हैं. ऐसा करना भी चाहिए।
गोरा भले ही कम पढ़ा लिखा हो भारत पाकिस्तान जैसे देश में जाकर वह खुद को प्रधान समझने लगता है और अगर वहां से कोई सर्जन बनकर भी आ जाए तो कई गोरों के लिए वह अप्रवासी और ग़ैरक़ानूनी ही रहता है।
जब किसी ढाके वाले के ढाबे का चिकन टिक्का मसाला खा-खा कर बीमार पड़ जाएगा तो उसका इलाज कोई गुजरात से आया डॉक्टर ही करेगा, नर्स भी जमैका की होगी. और फिर दवा लेने के लिए फ़ार्मेसी जाएगा।
वहां भी कोई हमारा ही भाई-बहन खड़ा होगा .ब्रिटेन के चुनावों में जीत का परचम लहराने वाले ये हैं भारतीय मूल के नेताब्रिटेन के राजनेताओं ने अपनी सारी अक्षमताओं का भार विदेश से आए काले और भूरे लोगों पर डाल दिया है।