हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, मदरस ए इल्मिया सफ़ीराने हिदायत बीरजंद के ज़िम्मेदार आयतुल्लाह सादरुद्दीन आरफ़ी नेजाद का 88 साल की उम्र में इंतकाल हो गया है।
उनकी नमाज़े जनाज़ा मंगलवार को नमाज़-ए-ज़ुहर और अस्र के बाद हैअत अबूल फ़ज़ली से बहिश्त मुत्तक़ीन की ओर ले जाया जाएगा।
आयतुल्लाह सादरुद्दीन आरफी निजाद और उनके वालिद, आयतुल्लाह हाजी शेख जवाद आरफी को दक्षिणी खुरासान में शाही ज़ुल्म और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करने वालों और इंकलाब (क्रांति) के बुनियादगुज़ारों में से माना जाता है।
आपका जन्म 1315 हिजरी शम्सी में बीरजंद में हुआ था वहीं शुरुआती तालीम हासिल करने के बाद आपने मदरस ए मआसूमिया में दाखिला लिया।
कुछ समय तक आपने अपने वालिद के मार्गदर्शन में शिक्षा प्राप्त की और फिर क़ुम के हौज़ा-ए-इल्मिया की तरफ़ रुख किया जहाँ आप इंकलाब-ए-इस्लामी की कामयाबी से एक साल पहले तक तालीम हासिल करते रहे।
इंकलाब से एक साल पहले आप बीरजंद लौटे और शाह के खिलाफ़ खुतबे और इंकलाबी सरगर्मियों (क्रांतिकारी गतिविधियों) में हिस्सा लिया और इंकलाब-ए-इस्लामी की फतह तक शाह के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शनों के क़ायदीन में से एक रहे।
इंकलाब के बाद आपने तीन महीने तक बीरजंद इंकलाबी कमेटी की क़ियादत की जिसके बाद आपने अपनी असल ज़िम्मेदारी यानी हौज़ा-ए-इल्मिया में तदरीस शिक्षण का सिलसिला दोबारा शुरू किया और आधी सदी से भी ज़्यादा समय तक मदरस ए मआसूमिया और मदरस ए सफ़ीराने हिदायत बीरजंद की ज़िम्मेदारी निभाते रहे।