۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
آیۃ اللہ سید طیب موسوی جزائری

हौज़ा / पेशकश: दानिशनामा इस्लाम, इंटरनेशनल नूरमाइक्रो फिल्म सेंटर दिल्ली काविश: मौलाना सैयद गाफ़िर रिज़वी छोलसी और मौलाना सैयद रज़ी ज़ैदी फ़ंदेड़वी

आयतुल्लाह सय्यद तय्यब मूसवी जज़ाएरी (सन तेरह सो चवालीस हिजरी) में इलमों फ़न के ख़ानवादे में महल्ला कटरा (शहरे लखनऊ) हिंदुस्तान की सरज़मीन पर पैदा हुए, मोसूफ़ का नसब छह वसीलों सेहौजहु दुनयाए तशय्यो के मशहूरो मारूफ़ अलिमो मोहद्दिस “ सय्यद नेमतुल्लाह जज़ाएरी” तक ओर उन्नीस वसीलों से सातवें इमाम हज़रत इमामे मूसा काज़िम अ: तक पहुंचता है, आपके वालिद “मुफ़्ती सय्यद मोहम्मद अली जज़ाएरी” आपके चचा “ मुफ़्ती आज़म सय्यद अहमद अली जज़ाएरी” ओर आपके दादा “आयतुल्लाह मुफ़्ती सय्यद मोहम्मद अब्बास शूस्त्री जज़ाएरी” ओलमाए नजफ़ ओर लखनऊ के अज़ीम ओलमाए आलाम में शुमार किए जाते हैं|

तय्यब मूसवी निहायत ज़हीन थे, आपकी परवरिश अहले इल्म ख़ानवादे में हुई, उन्होने इब्तेदाई तालीम अपने वालिद से हासिल की,क़ुरान मुकम्मल किया नीज़ मिंबर से वाज़ों नसीहत ओर मजालिस का आग़ाज़ किया आपने बारह साल की उम्र तक अपने वालिद की खिदमत मे रहकर इब्तेदाई तालीम हासिल की|

आपका बचपन इंतेहाई करबो अलम में गुज़रा,आप ग्यारह साल के थे तो वालेदा­ का­­ दागे मुफ़ारेक़त मिल गया ओर जब बारह साल के हुए तो सायाए पिदरी से महरूम हो गए लेकिन आपने शिकस्त कुबूल नहीं की बल्के अपनी कोशिश को जारीयो सारी रखा|

अपने चचा के पास होज़े की तालीम हासिल की ओर साथ साथ इंग्लिश ओर रियाज़ी में भी महारत हासिल की, तक़रीबन ग्यारह साल कर्बला ओर नजफ़ के होज़ात में रहकर दर्जए इजतेहाद तक रसाई हासिल की|

उन ज़हमात का नतीजा आप के अंदर क़ुव्वते इजतेहाद का पैदा होना था जिसको आपने तोज़ीहुल मसाइल के ज़रिये साबित कर दिया, ऐसी तोज़ीहुल मसाइल तहरीर फरमाई के ज़माने के मशहूरो मारूफ़ ओलमा ने तारीफ़ो तमजीद करते हुए इजतेहाद के इजाज़े मरहमत फ़रमाए, आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद तबरेज़ी ने बा क़लमे खुद आपके लिए इजाज़ए इजतेहाद तहरीर फ़रमाया जिसकी दूसरे ओलमा ने भी ताईद फ़रमाई |

जिन ओलमा वा मुज्तहेदीन ने मोसूफ़ की तारीफ़ की है उनमें से : आयतुल्लाहुल उज़्मा सय्यद अहमद अली मूसवी जज़ाएरी (लखनऊ), आयतुल्लाहुल उज़्मा सय्यद मोहसेनूल हकीम (नजफ़) आयातुल्लाहुल उज़्मा सय्यद अबुल क़ासिम खूई (नजफ़) आयतुल्लाहुल उज़्मा सय्यद मोहम्मद जवाद तबरेज़ी (नजफ़) आयतुल्लाहुल उज़्मा सय्यद अबुल क़ासिम रशती (नजफ़), आयतुल्लाहुल उज़मा शेख आगा बुज़ुर्ग तेहरानी (नजफ़) आयतुल्लाहुल उज़मा सय्यद मोहम्मद रज़ा गुलपाएगानी (कुम) आयतुल्लाहुल उज़मा सय्यद शहाबुद्दीन मरअशी नजफ़ी (कुम) आयतुल्लाहुल उज़मा सय्यद खुनसारी (तेहरान) वगैरा के असमाए गिरामी क़ाबिले ज़िक्र हैं|

आयतुल्लाह तय्यब जज़ाएरी ने मदरसे शब्बीरया (नजफ़) से फ़िक़हो उसूल का दरसे खारिज देना शुरू किया ओर काफ़ी तुल्लाब की तरबियत फरमाई, उसके बाद दिगर मदारिस में भी तदरीस का सिलसिला क़ायम किया ओर काफ़ी तादाद में तुल्लाब को दर्स दिया|

शहरे कुम में आपका दर्स कई साल तक जारीयो सारी रहा, सन “उन्नीस सो पचपन” से सन “दो हज़ार तेरह ईस्वी” तक तफ़सीरे क़ुरान तहरीर फ़रमाते रहे जिसका महवर “विलायते अमीरुल मोमीनीन अली इबने अबितालिब अ:रहा|

आयतुल्लाह तय्यब जज़ाइरी, अपनी किताब “अलबराहीनुल इसना अशर अला वुजुदिल इमामिस्सानी अशर” के सबब ज़्यादा मशहूर हुए जो मर्कज़े तखस्सुसी महदवियत से शाया हुई थी, उस किताब में इमामे ज़माना अ: के वुजूद पर अक़्ली दलाइल पेश किए गए थे, उन्होने इस किताब में अक़्ली दलाइल के साथ मुखतलिफ़ दलीलें भी पेश कीं, क़ुरान ओर दिगर मज़ाहिब की मुखतलिफ़ किताबों से इस्तेफ़ादा करते हुए बारहवें इमाम के वुजूद को साबित किया है, ये किताब फारसी, उर्दू, ओर इंग्लिश तीनों ज़ुबानों में शाया हुई है जीसकी वजह से मोसूफ़ को माहे फरवरदीन सन “तेरह सो चोरानवे” शमसी में आसताने कुदसे हुसैनी से इनआमो इकराम से भी नवाज़ा गया|

आयतुल्लाह जज़ाएरी ने तक़रीबन सो किताबें तहरीर फरमाई आपने शिया किताबों के ऐहया में बहुत एहतेमाम किया, मोसूफ़ के बाज़ मशहूरो मारूफ़ तसानीफ़ मंदरजा ज़ेल हैं आफ़ताबे शहादत, अबूतुराब, इस्लाम की आरज़ू, तारीखे नजफ़ों कर्बला, ओहदुन नास दर हालाते ज़िंदगी मुफ़्ती अब्बास, सय्यद जज़ाएरि (हालाते ज़िंदगी सय्यद नेमतुल्लाह जज़ाएरी) हक़्क़ुल क़ोलैन फ़ी मसअलतिल मस्ह अलल क़दामैन, अल्लुमअतुस सातेआ फ़ी तहक़ीक़िस सलातिल जुमा, अलबराहीनुल इसना अशर अला वुजुदिल इममिस्सानी अशर, तफ़सीरे अली इबने इब्राहीम कुम्मी, कशफ़ुल असरार फ़ी शरहिल इस्तब्सार, तर्जुमए बिहारूल अनवार हालाते इमामे हुसैन, तर्जुमए बिहारूल अनवार हालाते शाम, तर्जुमए तफ़सीरे नमूना (जिल्द शशुम), तर्जुमए मुंतखबुर रसाइल वगैरा|

आपने मोअस्ससे उलूम आले मोहम्मद की बुनयाद रखी ताके फ़िक़, सीरत, तफ़सीर, ओर तारीख वगैरा की बेश बहा किताबें नश्र की जा सकें, उसके ज़रिये उनहोने इस्लामी माशरे की बहुत बड़ी खिदमत अंजाम दी, पाँच साल तक मस्जिदे जमकरान में इमामे जमात की ज़िम्मेदारी निभाई|

अपने जद्दे अमजद “सय्यद नेमतुल्लाह जज़ाएरि” के इल्मी सरमाये को ज़िंदा रखने के लिए काफी ज़हमतें उठाईं, आयतुल्लाह जज़ाएरि अरब, उर्दू ओर इंग्लिश ज़ुबान में माहिर थे इसी लिए मुख्तलिफ़ ममालिक का सफ़र किया मसलन अरब अमारात,कुवैत, सीरया, लबनान, लंदन,जर्मन,हालैण्ड,कनाडा,वगैरा उनके अलावा तबलीगे दीन के सिलसिले से बाज़ योरोपी ममालिक ओर अरब ममालिक के भी सफ़र किए|

आयतुल्लाह तय्यब जज़ाएरी इल्मी ओर तबलीगी सरगरमियों के अलावा ज़रूरतमंदों की मदद का ख़ास एहतेमाम फ़रमाते थे ओर बहुत से बे सरपरस्त खानवादों की किफ़ालत भी करते थे इसी चीज़ के पेशे नज़र “दारुल ईताम आले मोहम्मद स: की बुनयाद डाली|

आखिरकार ये इलमों फ़ज़्ल का आसमान (पंद्रह रबीउल अव्वल सन चोदह सो सैंतीस हिजरी) बावक़्ते सबह शहरे कुम में अरशे इलाही से मुत्तसिल हो गया, सोलह रबीउल अव्वल सन चोदह सो सैंतीस हिजरी में आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद अली मूसवी जज़ाएरी (इमामे जुमा वा नुमाइंदे वलीये फ़कीह खूज़िस्तान) की क़यादत में नमाज़े जनाज़ा अदा हुई ओर मासूमाए कुम स: के हरम में दफ्न किया गया|           

माखूज़ अज़: नुजूमुल हिदाया, तहक़ीक़ो तालीफ़ : मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी व मौलाना सैयद रज़ी ज़ैदी फंदेड़वी जिल्द१-पेज-१५५ दानिशनामा ए इस्लाम इंटरनेशनल नूर माइक्रो फ़िल्म सेंटर, दिल्ली, २०१९ ईस्वी।

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