۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
آیت‌ الله حافظ ریاض حسین نجفی

हौज़ा / वेफ़ाक़ुल मदारिस शिया पाकिस्तान के अध्यक्ष ने जुमआ के खुत्बे में कहा कि महफिलों और मजलिसों में एकता समानता और तौहीद को बढ़ावा देना चाहिए कलिमा ए तैय्यबा पढ़ने और उस पर ईमान लाने के बाद इंसान वही करता है जो अल्लाह का हुक्म होता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,लाहौर, वेफ़ाक़ुल मदारिस शिया पाकिस्तान के अध्यक्ष आयतुल्लाह हाफ़िज़ सैय्यद रियाज़ हुसैन नक़वी ने जामिया मस्जिद अली हौज़ा-ए-इल्मिया जामियातुल मुंतज़िर में जुमा के खुत्बे में स्पष्ट किया कि कुरआन के आदेश के अनुसार मुसलमान की पहचान इस्लाम है, कोई फ़िरक़ा (संप्रदाय) नहीं।

उन्होंने कहा कि हमें महफिलों और मजलिसों में एकता समानता और तौहीद को बढ़ावा देना चाहिए कलिमा ए तैय्यबा पढ़ने और उस पर ईमान लाने के बाद इंसान वही करता है जो अल्लाह का हुक्म होता है।

हम नबियों और इमामों को ख़ुदा के आदेश पर मानते हैं। यह कलिमा-ए-तैय्यबा (ला इलाहा इल्लल्लाह) की पैरवी है। पैगंबर-ए-इस्लाम स.ल.व.व. को दीन की तबलीग़ से रोकने के लिए काफिरों ने धन और दौलत की पेशकश की, मगर आपने फरमाया,मैं अल्लाह के आदेश को लोगों तक पहुँचाने से हरगिज़ नहीं रुकूंगा चाहे मेरे एक हाथ पर सूरज और दूसरे पर चाँद रख दिया जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली अ.स. का भी यह मुबारक फरमान है कि अगर पूरी दुनिया मेरी मुखालिफत करे तब भी मैं हक़ (सत्य) का रास्ता नहीं छोड़ूंगा।

हाफ़िज़ रियाज़ नक़वी ने यह भी बताया कि जब इस्लामी क्रांति के संस्थापक हज़रत इमाम ख़ुमैनी पर क्रांति का रास्ता छोड़ने का दबाव डाला गया तो उन्होंने अमेरिका और रूस के खिलाफ "ला शरक़ी, ला ग़रबी" का नारा दिया, यानी वे न तो पूरब का पालन करेंगे और न ही पश्चिम का बल्कि अल्लाह के दीन के अनुसार अमल करेंगे।

इसी तरह ईरान ने बड़ी मुश्किलों का सामना किया लेकिन इस्लामी क्रांति के संस्थापक के मिशन को अब तक जारी रखा हुआ है।

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