۱۴ مهر ۱۴۰۳ |۱ ربیع‌الثانی ۱۴۴۶ | Oct 5, 2024
आयतुल्लाह

हौज़ा / क़ुम के इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने कहा कि हम कुरआन के हुक्म के मुताबिक, बच्चों के क़ातिल और ग़ासिब सरकार जैसे इज़राइल के पूरी तरह से खात्मे तक हम अपने हथियार ज़मीन पर नहीं रखेंगें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, क़ुम अल मुकद्देसा के इमाम-ए-जुमा आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने आज मस्जिद-ए-क़ुद्स क़ुम में जुमआ के ख़ुत्बे में हज़रत मसूमा स.ल. के क़ुम में आगमन की सालगिरह का ज़िक्र करते हुए कहा,हज़रत हज़रत मसूमा स.ल की हिजरत इस्लाम के इतिहास की अहम और सभ्यता-निर्माण करने वाली हिज़रतों में से एक है।

जिसके प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं और वैश्विक स्तर पर भी स्पष्ट हो रहे हैं।

उन्होंने कहा रिवायतों के अनुसार, हज़रत मसूमा स.ल द्वारा क़ुम का चयन बहुत ही सूक्ष्मता और योजना के तहत किया गया था और इस्लामी क्रांति भी इस हिजरत के परिणामों में से एक है।

क़ुम के इमाम ए जुमा ने कहा, क़ुम के लोग इज़राइल जैसी ग़ासिब और ज़ालिम हुकूमत के ख़िलाफ़ जद्दोजहद में सबसे आगे होंगे जैसे कि रिवायतों में आया है कि इमाम सादिक़ अ.स.
ने फ़रमाया:
کُنْتُ عِنْدَ أَبِی عَبْدِ اللَّهِ ع جَالِساً إِذْ قَرَأَ هَذِهِ الْآیَةَ فَإِذا جاءَ وَعْدُ أُولاهُما بَعَثْنا عَلَیْکُمْ عِباداً لَنا أُولِی بَأْسٍ شَدِیدٍ فَجاسُوا خِلالَ الدِّیارِ وَ کانَ وَعْداً مَفْعُولًا فَقُلْنَا جُعِلْنَا فِدَاکَ مَنْ هَؤُلَاءِ فَقَالَ ثَلَاثَ مَرَّاتٍ هُمْ وَ اللَّهِ أَهْلُ قُم.
इमाम सादिक़ अ.स.के पास बैठा था जब आपने यह आयत पढ़ी,जब पहले वादे का समय आया तो हमने अपने कुछ मज़बूत और ताक़तवर बंदों को तुम्हारे खिलाफ़ भेजा जो घरों में घुसकर तुम्हें ढूंढ निकालेंगे और यह वादा निश्चित रूप से पूरा होकर रहेगा। हमने पूछा:मौला, ये ताक़तवर लोग कौन हैं? इमाम अ. ने तीन बार फ़रमाया:कसम ख़ुदा की! यह लोग क़ुम के बाशिंदे हैं।

आयतुल्लाह सईदी ने कहा,आप लोगों को इस इलाही मिशन के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि साम्राज्यवादी ताकतें आपकी हैसियत और जिम्मेदारी से वाक़िफ़ हो चुकी हैं और इसी वजह से वे हिजाब, पवित्रता और अन्य साज़िशों के ज़रिए आपकी एकता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं।

उन्होंने कहा,रहबर-ए-मुअज़्ज़म-ए-इंक़िलाब ने दिफ़ा-ए-मक़द्दस के मौके पर फरमाया कि दिफ़ा-ए-मक़द्दस न सिर्फ़ मुल्क की हिफ़ाज़त के लिए था बल्कि यह दीन की हिफ़ाज़त और अल्लाह की राह में जिहाद था, जिसने इस्लाम को ज़िंदा किया और ईरानी क़ौम को इज़्ज़त दी।

आयतुल्लाह सईदी ने आगे कहा,कुछ अरब शासकों ने फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए बातचीत का रास्ता अपनाने की कोशिश की, लेकिन इतिहास से यह साबित होता है कि बातचीत केवल इस्राइली सरकार की ग़ासिब ज़िंदगी को लंबा करने का एक ज़रिया थी।

इमाम ख़ुमैनी रह. ने भी हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया कि फिलिस्तीन और क़ुद्स की आज़ादी का एकमात्र रास्ता केवल और केवल हथियारबंद जद्दोजहद और अल्लाह पर भरोसा है।

उन्होंने क़ुरान की आयत पडी
"قَٰتِلُوهُمۡ یُعَذِّبۡهُمُ ٱللَّهُ بِأَیۡدِیکُمۡ" का हवाला देते हुए कहा कि*"हम क़ुरान के हुक्म के मुताबिक़, इस्राइल के पूर्ण खात्मे तक अपने हथियार ज़मीन पर नहीं रखेंगे।"

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .