۱۳ آذر ۱۴۰۳ |۱ جمادی‌الثانی ۱۴۴۶ | Dec 3, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / अमीर अल-मोमेमीन इमाम अली (अ) एक रिवायत में एक सूत्र का वर्णन करते हैं जो इंसानों के मूल्य को बढ़ाता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "मिश्कात अल-अनवार" पुस्तक से ली गई है इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال امیرالمؤمنين عليه السلام:

يا مُؤمِنُ، إنَّ هذَا العِلمَ وَالأَدَبَ ثَمَنُ نَفسِكَ فَاجتَهِد في تَعَلُّمِهِما فَما يَزيدُ مِن عِلمِكَ وأدَبِكَ يَزيدُ في ثَمَنِكَ وقَدرِكَ؛ فَإِنَّ بِالعِلمِ تَهتَدي إلى رَبِّكَ وبِالأَدَبِ تُحسِنُ خِدمَةَ رَبِّكَ وبِأَدَبِ الخِدمَةِ يَستَوجِبُ العَبدُ وَلايَتَهُ وقُربَهُ، فَاقبَلِ النَّصيحَةَ كَي تَنجُوَ مِنَ العَذابِ

अमीर अल-मोमेमीन इमाम अली (अ)  ने फ़रमाया:

हे आस्तिक! यह ज्ञान आध्यात्मिक जीवन की कीमत है इसलिए इसे सीखने का प्रयास करें और जितना अधिक आपका ज्ञान बढ़ेगा, आध्यात्मिक मूल्य उतना ही बढ़ेगा। आप ज्ञान के माध्यम से अपने रब की तलाश करेंगे और साहित्य के माध्यम से अपने रब की सर्वोत्तम सेवा करेंगे और सेवा के शिष्टाचार के माध्यम से अपने रब की इबादत करेंगे। अतः अज़ाब से बचने के लिए इस सलाह को स्वीकार करो।

मिश्कात अल-अनवार, पेज 239, हदीस 689

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