हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष की तरह, पैगंबर (स) की एकमात्र और प्यारी बेटी फातिमा ज़हरा की दुखद शहादत के अवसर पर, अकबरपुर (अम्बेडकरनगर) में एक मजलिस आयोजित की गई। अकबरपुर स्थान रामपुर मंगरडिला में इसकी व्यवस्था बहुत सावधानी से की गई थी।
अज़ा ए फातिमा ज़हरा की उपाधि के साथ हुसैनिया ज़हरा में मरहूम मोहम्मद अज़हर खानवादा की ओर से कलाम रब्बानी की तिलावत से इन मजलिसो की शुरुआत हुई, जिसके बाद जनाब मुबारक जलालपुरी, मौलाना शबीब फैजाबादी, मौलाना रहबर सुलतानी आदि ने संगठित अकीदत पेश की।
इस सिलसिले की पहली मजलिस को संबोधित करते हुए दिल्ली से आए मौलाना सय्यद कमर हसनैन ने कहा कि ज्ञान जागरूकता देता है, बे शऊर दीनदारी के परिणामस्वरूप हर ऐरा गैरा रज़ी अल्लाह बन जाता है और बे शऊर दीनदारी के नतीजे मे हर व्यक्ति जाकिर नजर आता है आज दीन को नुक़सान बेदीन से नही बल्कि बे शऊर दीनदारी से हो रहा है।
मौलाना सैयद कमर हसनैन ने मसाइब की शुरुआत इस वाक्य से की कि पैगंबर खातम की इकलौती बेटी ने बे शऊर दीनदारी के अत्याचारों का सामना करते हुए सुब्बत अलय्या मसाऐबुन लो अन्हा सुब्बत अलल अय्यामे सिरना लयालेना कहा।
बताते चलें कि पहली मजलिस के तुरंत बाद मौलाना सय्यद हैदर अब्बास रिजवी की इमामत में जुहरैन की नमाज अदा की गई।
इसके तुरंत बाद दूसरी मजलिस-ए-अजा को संबोधित करने दिल्ली से आए मौलाना सययद अजादार हुसैन ने संबोधित किया, मौलाना ने पैगम्बर के इस फरमान को सरनामा सुखन बनाया, जिसमें पैगम्बर ने अपना भाषण दिया जनाब सलमान फ़ारसी ने बेटी फातिमा ज़हरा की खूबियाँ और उनके प्यार की फ़ायदे बयान किये।
मौलाना अजादार ने कहा कि सुन्नत सोच से नहीं बनती, बल्कि सुन्नत पैगंबर के शब्दों और कर्मों से बनती है, जैसे मिस्वाक पैगंबर की सुन्नत है या वाजिब, हर मुसलमान को इस सुन्नत का पालन करना चाहिए वह पैगंबर की इस सुन्नत को लागू करता है जो उसने कई बार किया है, इसलिए जब पैगंबर ने लगातार फातिमा को सलाम किया, तो मुसलमान ने इस सुन्नत का पालन क्यों नहीं किया?
मौलाना सैयद अजादार हुसैन ने कहा कि सलाम करने वाला बड़ा होता है, अहंकार दो जगह टूटता है, एक मस्जिद में और दूसरा महफिल में, अलग-अलग नमाज न पढ़ें, बल्कि जमात में नमाज अदा करें स्वीकृति प्राप्त करें।
गौरतलब है कि इस वर्ष भी अजाए फातेमा के दौरान रामपुर अकबरपुर में मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिजवी की देखरेख में इस्तिफ्ता शिविर का आयोजन किया गया था, जहां उपरोक्त सहित विभिन्न विद्वानों ने धार्मिक, उत्तर दिए , विश्वासियों की राजनीतिक और सामाजिक समस्याएं दी गईं।
इस वार्षिक कार्यक्रम में डॉ. सयद मुहम्मद अब्बास ने पहली बार बिन्ते पैगम्बर खातम की याद में निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को लाभ हुआ।
मौलाना मुहम्मद जहीर ने एम.फोर्टीन के बैनर तले एक स्टॉल भी लगाया। इस ट्रस्ट का उद्देश्य अकबरपुर अम्बेडकरनगर के विश्वासियों को जोड़ना है। इस ट्रस्ट का सदस्य वार्षिक या स्थायी सदस्यता के माध्यम से बनाया जा सकता है।
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