हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, यह रिवायत किताब "नहजुल बलागा" से ली गई है। इस रिवायत का मूल पाठ इस प्रकार है:
قال امیر المؤمنين عليه السلام:
أَيُّهَا النَّاسُ، إِنَّ أَخْوَفَ ما أَخافُ عَلَيْكُمُ اثْنَتانِ: اتِّباعُ الْهَوَى، وَطُولُ الْأَمَلِ فَأَمَّا اتِّباعُ الْهَوَى فَيَصُدُّ عَنِ الْحَقِّ، وَأَمَّا طُولُ الْأَمَلِ فَيُنْسِي الاْخِرَةَ
इमाम अली (अ.स.) ने फरमाया:
"ऐ लोगो! मैं तुम्हारे बारे में सबसे ज्यादा जिन दो चीज़ों से डरता हूँ, वे हैं:
- नफ्स की ख्वाहिशों (इच्छाओं) की पैरवी करना।
- लंबी-लंबी उम्मीदें रखना।
क्योंकि नफ्स की ख्वाहिशों की पैरवी करना तुम्हें हक (सच्चाई) से दूर कर देगा,
और लंबी उम्मीदें रखना तुम्हें आख़िरत (परलोक) को भुला देगी।"
नहजुल बलागा, ख़ुत्बा नंबर 43
आपकी टिप्पणी