हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की शाखा माज़ंदरान के अनुसार, मदरसा इल्मिया सिद्दीका ताहेरा (स) नोशहर में सांस्कृतिक मामलों की संरक्षक, श्रीमती रुक़य्या दहक़ान, ने इमाम खुमैनी (र) नेवल यूनिवर्सिटी नोशहर के छात्रों और उनके परिवारों के साथ आयोजित एक विचारोत्तेजक बैठक में कहा कि क़ुरआन-ए-करीम की रोशनी में परिवार की मज़बूती और उसकी सुरक्षा के सिद्धांतों को उजागर करना बहुत ज़रूरी है।
उन्होंने आगे कहा कि शांति और सुरक्षा इंसानी ज़िंदगी के लिए बेहद अहम मुद्दा है और यह हर समाज की बुनियादी ज़रूरतों में शामिल है, क्योंकि यह व्यक्तिगत और सामूहिक प्रगति का आधार बनता है।
श्रीमती रुक़य्या दहक़ान ने क़ुरआन और हदीस की रौशनी में शांति और सुरक्षा के महत्व पर बात करते हुए कहा कि अल्लाह तआला ने क़ुरआन में शांति को अपनी बेमिसाल नेमतों में से एक बताया है। अल्लाह ने फ़रमाया: "वआमन्हुम मिन ख़ौफ़" यानी अल्लाह ने उन्हें डर से महफूज़ रखा। अगर समाज में शांति न हो, तो इंसान का ईमान भी ख़तरे में पड़ जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) ने भी "शांति और शारीरिक स्वास्थ्य" को दुनिया की दो सबसे अहम नेमतें क़रार दिया है। इन रिवायतों से शांति और सुरक्षा की अहमियत पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है।
उन्होंने कहा कि ईरानी सुप्रीम लीडर के अनुसार, शांति किसी भी समाज के लिए ऑक्सीजन की तरह ज़रूरी है। एक तरक्कीपसंद क़ौम पर सबसे बड़ा हमला उसकी सुरक्षा को छीन लेना होता है, क्योंकि सांस्कृतिक और वैचारिक कार्य, आर्थिक प्रगति, और नैतिक व शैक्षिक ढांचा, सब शांति पर निर्भर होते हैं। अगर समाज में असुरक्षा का एहसास हो, तो देश तबाह हो जाता है और तरक्की के लिए कोई गुंजाइश नहीं बचती।
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