हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,इमाम ए जुमआ चुग़ादक, हुज्जतुल इस्लाम रज़ा खुदरी ने कहां,ऐसे हालात में जब इस्लामी गणराज्य ईरान, रहबर-ए-मआज़्ज़म की दूरदर्शिता और रणनीति के तहत हमेशा इज़्ज़त, ताक़त और राष्ट्रीय हितों की हिफ़ाज़त पर ज़ोर देता आया है, अमेरिका से होने वाले ग़ैरप्रत्यक्ष (indirect) भी मुकम्मल योजना के साथ और इंशा अल्लाह ईरान के फ़ायदे में जारी हैं।
उन्होंने आगे कहा,इन बातचीतों का मक़सद इलाक़ाई मसलों का हल निकालना है और ये इस बात को साबित करता है कि शर्तें तय करने में पहल ईरान की तरफ़ से हो रही है।
हुज्जतुल इस्लाम रज़ा खुदरी ने कहा,रहबर-ए-मआज़्ज़म की समझदार और दूरअंदेशी रणनीति ने अमेरिका को बातचीत की बंद गली (dead end) में पहुँचा दिया है।
उन्होंने यह भी कहा,बातचीत के ढांचे के ताय्युन में ईरान की बरतरी साफ़ तौर पर नज़र आती है। अमेरिका सीधे बातचीत करना चाहता था लेकिन इस्लामी गणराज्य ईरान ने मज़बूत इरादे के साथ ग़ैर-प्रत्यक्ष बातचीत की शकल को तय किया।
इमामे जुमा चुग़ादक ने ज़ोर देते हुए कहा,अमेरिका अपनी तमाम बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद ईरान से बातचीत पर मजबूर है अगर रहबर-ए-मआज़्ज़म की हिकमत-ए-अमली न होती, तो कभी भी अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ़ से रहबर-ए-मआज़्ज़म को बातचीत की दरख़्वास्त वाला ख़त न भेजा गया होता।
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