हौज़ा न्यूज़ एजेंसी| आयतुल्लाहिल उज़्मा सीस्तानी से पूछे गए सवाल: उन टेलीविजन कार्यक्रमों को देखने या प्रसारित करने का क्या हुक्म है जिनमें महिलाओं को बिना हिजाब के दिखाया जाता है? जवाब में उन्होंने कहा:
जवाब: उन्हें देखने में कोई हरज नहीं है और अगर उनके जिस्म के वो हिस्से दिख जाएं जो आम तौर पर छिपे रहते हैं या कोई उन्हें हवस या हराम के ख़ौफ़ से देखे तो उन्हें देखना जाइज़ नहीं है और अगर वो नंगी या अधनंगी हों तो एहतियाते वाजिब की बिना पर उन्हें किसी भी हालत में देखना जाइज़ नहीं है।
प्रश्न 2: टेलीविजन या सिनेमा हॉल में फिल्म या धारावाहिक देखने का क्या मापदंड है और इसे हराम क्यों माना जाता है?
जवाब: अश्लील, गुमराह करने वाली या पाप की ओर ले जाने वाली फिल्में देखना जायज़ नहीं है। इसके अलावा, वासना से जुड़ी या पाप में पड़ने का डर होने पर फिल्में देखना भी जायज़ नहीं है। इसी तरह एहतियाते वाजिब यह है कि औरतों के लिए ऐसे मर्दों की फिल्में देखना जायज़ नहीं है जो सामान्य से ज़्यादा नंगे हों या मर्दों के लिए ऐसी औरतों की फिल्में देखना जायज़ नहीं है जो सामान्य से ज़्यादा नंगी हों, भले ही वह वासना से जुड़ी न हो।
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