हौज़ा न्यूज़ एजेंसी|
गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए हुक्म
प्रश्न: क्या उस गर्भवती महिला पर रोज़ा रखना वाजिब है? जिसे नहीं पता कि रोज़ा रखना उनके बच्चे के लिए हानिकारक है या नहीं?
उत्तर: यदि माँ को रोज़े के कारण अपने बच्चे को किसी प्रकार की हानि का भय हो और उसका भय किसी तर्कपूर्ण कारण पर आधारित हो तो उसके लिए रोज़ा छोड़ना वाजिब है, अन्यथा उसके लिए रोज़ा रखना वाजिब है।
सवाल: एक महिला अपने बच्चे को दूध पिलाती थी और गर्भवती भी थी और साथ ही रमज़ान के महीने में रोज़ा भी रख रही थी, लेकिन जब बच्चा पैदा हुआ तो वह मरा हुआ पैदा हुआ। अब अगर पहले से ही उसके नुकसान की आशंका थी लेकिन उसने रोज़ा रखना जारी रखा तो:
1. उसका रोज़ा सही होगा या नहीं?
2. क्या उस पर दियत देना वाजिब है या नहीं?
3. और यदि उसने पहले नुकसान की सम्भावना नहीं बताई थी, लेकिन बाद में यह साबित हो गया कि रोज़ा बच्चे के लिए नुकसान का कारण है, तो इस पर क्या हुक्म है?
जवाब: अगर किसी को किसी बात का डर हो और डर की वजह भी तर्कपूर्ण हो और इसके बावजूद वह रोज़ा रखे या बाद में उसे पता चले कि रोज़ा रखना उसके या उसके बच्चे के लिए नुकसानदेह था तो रोज़े बातिल हैं और उनकी क़ज़ा करनी होगी। लेकिन दीयत तभी वाजिब होगी जब यह साबित हो जाए कि बच्चे की मौत रोज़े की वजह से हुई है।
प्रश्न: अल्लाह तआला ने अपनी कृपा और दया से मुझे एक बच्चा दिया है जिसे मैं स्तनपान करा रही हूँ। रमज़ान का महीना आ रहा है और मैं रमज़ान के महीने में रोज़ा रख सकती हूँ, लेकिन अगर मैं रोज़ा रखूँगी तो दूध सूख जाएगा। यह ध्यान रखना चाहिए कि मैं शारीरिक रूप से कमजोर हूं और मेरा बच्चा हर दस मिनट में दूध मांगता है, तो मुझे क्या करना चाहिए?
जवाब: अगर रोज़े की वजह से आपका दूध सूख जाता है या कम हो जाता है और डर है कि इससे बच्चे को नुकसान पहुंचेगा तो रोज़ा न रखें और आपको हर रोज़े के लिए एक मुद खाना किसी गरीब को देना होगा और फिर रोज़े की कज़ा करनी होगी।
इस्तिफ़्ता: आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई
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