सोमवार 3 मार्च 2025 - 07:10
शरई अहकाम | यदि कोई व्यक्ति इस बात पर आश्वस्त है कि रोज़ा रखने से उसे कोई नुकसान नहीं होगा, तो वह रोज़ा रखता है और बाद में उसे पता चलता है कि रोज़ा रखना हानिकारक था, तो क्या हुक्म है?

हौज़ा / अगर किसी व्यक्ति को भरोसा हो कि रोज़ा उसके लिए हानिकारक नहीं है और वह रोज़ा रखे और मगरिब के बाद उसे पता चले कि रोज़ा उसके लिए इतना हानिकारक था कि वह इसकी परवाह करता तो (एहतियाते वाजिब की बिना पर) उसे उस रोज़े की क़ज़ा करनी चाहिए।

हौज़ा समाचार एजेंसी|

प्रश्न: यदि कोई व्यक्ति इस बात पर आश्वस्त है कि रोज़ा रखने से उसे कोई नुकसान नहीं होगा, तो वह रोज़ा रखता है और बाद में उसे पता चलता है कि रोज़ा रखना हानिकारक था, तो क्या हुक्म है?

उत्तर: अगर किसी व्यक्ति को भरोसा हो कि रोज़ा उसके लिए हानिकारक नहीं है और वह रोज़ा रखे और मगरिब के बाद उसे पता चले कि रोज़ा उसके लिए इतना हानिकारक था कि उसे इसकी परवाह करनी चाहिए थी, तो (एहतियात वाजिब की बिना पर ) उसे उस रोज़े की क़ज़ा करनी चाहिए।

इस्तिफ़्ता: आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली अल-हुसैनी अल-सिस्तानी

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