हौज़ा न्यूज़ एजेंसी|
क्या रोज़े की नियत करना आवश्यक है?
उत्तर: हां, रोज़ा एक इबादत है और इबादत बिना इरादे के नहीं की जा सकती।
क्या नियत कुछ खास शब्द कहने का नाम है?
उत्तर: नहीं, इरादा दिल का इरादा है।
हृदय के इरादे का क्या अर्थ है?
उत्तर: मैं अल्लाह के करीब आने (अल्लाह के आदेश का पालन करने) के लिए सुबह की अज़ान से लेकर शाम की अज़ान तक रोज़ा रखता हूँ।
यदि हमारी महल्ला मस्जिद में अज़ान सुनाई दे तो क्या हमारा रोज़ा उसी अज़ान के अनुसार शुरू हो जाएगा?
जवाब: सुबह की अज़ान के लिए महल्ले की मस्जिद मानक नहीं है, बल्कि सुबह की अज़ान सुबह की नमाज़ का अव्वले वक्त है और इस निश्चितता को प्राप्त करने के लिए इस समय से पहले कुछ समय तक खाने-पीने से परहेज़ करना और मगरिब के बाद कुछ समय तक इन चीज़ों से दूर रहना ज़रूरी है। बल्कि मगराबैन की नमाज़ पढ़कर रोज़ा खोलने का ज़्यादा सवाब मिलता है। लेकिन अगर लोग इफ़्तार का इंतज़ार कर रहे हैं तो मगरबैन के बाद रोज़ा खोलने मे कोई सवाब नहीं मिलता।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई
आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सीस्तानी
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