हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शव्वाल अल-मुकर्रमा की 8 तारीख, जन्नत उल बक़ी के विनाश की बरसी, मुस्लिम दुनिया के इतिहास में एक काला दिन है। इस त्रासदी की बरसी पर अंजुमने शरई शियाने जम्मू-कश्मीर द्वारा बडगाम स्थित सेंट्रल इमाम बाड़ा में एक विशेष सभा का आयोजन किया गया, जहां पवित्र कुरान के पाठ के बाद केंद्रीय जाकिरों ने नौहा और मरसिया पढ़ा। सभा की शुरुआत में हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मुहम्मद हुसैन सफ़वी ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें उन्होंने ध्वस्त किये गये मुक़द्दस मक़ामात के पुनर्निर्माण की मांग की।
बैठक में भाग लेने वाले धार्मिक विद्वान हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मुहम्मद हुसैन मूसवी और हुज्जतुल-इस्लाम सय्यद यूसुफ मूसवी पटाव थे। उन्होंने पैगम्बर मुहम्मद (स) की पुत्री हज़रत फातिमा ज़हरा और उनके बच्चों की कब्रों के पुनर्निर्माण के लिए प्रार्थना की।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय बकीअ दरगाह में ध्वस्त किए गए मुक़द्दस मक़ामात के पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार को लेकर चिंतित है और इस आयोजन का उत्सुकता से इंतजार कर रहा है।
इस अवसर पर अंजुमने शरई शियाने जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन आगा सय्यद हसन मूसवी अल-सफवी ने जन्नत उल-बकीअ के विनाश के पीछे सऊदी सरकार की सोच, मानसिकता और घृणित उद्देश्यों के विभिन्न पहलुओं को समझाया।
आगा साहब ने कहा कि जन्नत उल बक़ीअ इस्लामी दुनिया का सबसे पवित्र और प्रसिद्ध कब्रिस्तान है, जहां अहले बैत (अ) के साथ पैगंबर (स) के ग्यारह हजार साथियों और अनुयायियों को दफन किया गया है। पैगम्बर (स) अक्सर रात में इस कब्रिस्तान में आते थे। प्रारंभिक शताब्दियों के मुसलमानों ने इस कब्रिस्तान में दफन अहले बैत (अ) और अन्य चुने हुए साथियों की कब्रों पर मंदिर बनाकर अपने प्रेम और भक्ति का प्रदर्शन किया।
बारह शताब्दियों तक ये शिलालेख इन कब्रों पर बने रहे और मुसलमानों के प्रेम और श्रद्धा का केंद्र बने रहे। जन्नतुल बक़ी में अहले बैत (अ) और पैगम्बर (स) के साथियों की कब्रों को ध्वस्त करके अल सऊद सरकार ने मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और अहले बैत (अ) के प्रति अपनी अंतर्निहित ईर्ष्या और घृणा को सबसे बुरे तरीके से प्रदर्शित किया है।
आगा हसन ने कहा कि अरब शासकों को अरब भूमि में दरगाहों और चर्चों के निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन पैगंबर मुहम्मद (स) की बेटी हजरत फातिमा जहरा (स) और उनके वंशजों की कब्रों पर मकबरों का निर्माण किसी भी कीमत पर अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय बक़ीअ दरगाह में ध्वस्त किये गये पवित्र स्थलों के पुनर्निर्माण तथा इसके गौरव की पुनर्स्थापना को लेकर चिंतित है। समारोह के अंत में जन्नतुल बक़ी के पुनर्निर्माण के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया, जिसमें समारोह में उपस्थित सभी विद्वानों और अन्य व्यक्तियों ने अपने हस्ताक्षर किए और जन्नतुल बक़ी के पुनर्निर्माण के लिए अपना विरोध दर्ज कराया।
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