हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हिंदुस्तान के मरकज़ी शहर मुंबई में जामिअतुल इमाम अमीरुल मोमिनीन अ.स. नजफ़ी हाउस में सालाना जश्न ए सामिनुल आइम्मा इमाम रज़ा अ.स. और तालिब-ए-इल्मों की अम्मागुज़ारी की रूहानी और पुरवेक़ार तक़रीब का आयोजन किया गया।
तक़रीब का आग़ाज़ तिलावत ए कलाम-ए-पाक से हुआ, जिसके बाद तालिब-ए-इल्मों की सामूहिक तिलावत और तवाशिह ने महफ़िल को महकाया जश्न के दौरान सफ़-ए-सामिन (आठवें दर्जे) के तालिब-ए-इल्मों को रदाए-मसउलियत पहनाई गई, जबकि सफ़ ए आशिर (दसवें दर्जे) के फाज़िल तालिब-ए-इल्मों की अमामगुज़ारी की रस्म अदा की गई।
इस मौक़े पर इम्तिहानात (परीक्षाओं) में नमायां कामयाबी हासिल करने वाले तालिब-ए-इल्मों को प्रमाणपत्र और क़ीमती इनआमात से नवाज़ा गया।
प्रोग्राम की सदारत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने की जबकि जामिआ के दीगर बुज़ुर्ग असातिज़ा जैसे कि हुज्जतुल इस्लाम सैयद ज़की हसन, सैयद क़ल्बे हसन, सैयद मोहम्मद क़ैसर, जौहर अब्बास ख़ान, मौलाना सैयद महमूद हसन रिज़वी (क़ुम्मी) मौलाना सैयद हसन रज़ा, मौलाना सैयद अहसन, मौलाना सैयद रूहे ज़फ़र ने ख़ास शिरकत फरमाई।
तक़रीब के आख़िर में मौलाना आबिदी ने एक अहम ख़िताब किया, जिसमें उन्होंने मदरसों की मौजूदा हालत पर शदीद फिक्र का इज़हार करते हुए कहा,अगर बरवक्त इस्लाह ना हुई तो आने वाले दस बारह सालों में दीन और तबलीग़ के मैदान में शदीद खतरनाक कमी पैदा हो जाएगी।
उन्होंने आगे फ़रमाया,जब दीन की तालीम दुनिया के फायदों के लिए हासिल की जाने लगे तो कामयाबी के रास्ते बंद हो जाते हैं हमें दीन की ख़िदमत को मक़सद बनाना चाहिए, ना कि लिफ़ाफ़ों और नौकरियों को।
मौलाना आबिदी ने मदरसों के ज़िम्मेदारों और उस्तादों से अपील की कि वो तालिब-ए-इल्मों की दीनी तरबियत पर संजीदगी से तवज्जो दें और मौजूदा माली खर्चात के बावजूद तालीमी शोबे में बेहतरीन नताइज हासिल करें।
प्रोग्राम का इख़्तिताम मौलाना आबिदी की दुआ पर हुआ, जिसमें उन्होंने अल्लाह तआला से दीन की सही ख़िदमत और मदरसा-ए-इल्मिया की हक़ीक़ी कामयाबी की दुआ की।
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