शनिवार 24 मई 2025 - 17:40
बनू उमय्या की नीतियों के बावजूद इमामों अ.स. का नूर दुनिया के कोने-कोने में फैला

हौज़ा / नजफ़ अशरफ़ के इमाम ए जुमा हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सद्रुद्दीन क़बांची ने इमाम जवाद (अ.स.) की शहादत की ताज़ियत पेश करते हुए कहा कि बनू उमय्या की नीतियों के बावजूद आइम्मा (अ.स.) का नूर दुनिया के कोने-कोने में फैल गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,नजफ़ अशरफ़ के इमाम ए जुमआ हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सद्रुद्दीन क़बांची ने इमाम जवाद (अ.स.) की शहादत की ताज़ियत पेश करते हुए कहा कि बनू उमय्या की नीतियों के बावजूद आइम्मा (अ.स.) का नूर दुनिया के कोने-कोने में फैल गया।

उन्होंने जुमआ के खुत्बों में इमाम जवाद (अ.स.) की शहादत का ज़िक्र करते हुए सवाल उठाया कि मामून ने अपनी बेटी की शादी इमाम जवाद (अ.स.) से क्यों करवाई? और इमाम जवाद (अ.) ने उस लड़की से शादी क्यों की, जिसने उन्हें ज़हर देकर शहीद किया?

उन्होंने कहा कि इमाम जवाद (अ.) की शहादत के मामले में दो नीतियाँ थीं दुश्मनी का बहाना बनाकर हमला करना जो बनू उमय्या की नीति थी।वफ़ादारी और सब्र का दिखावा – जो मामून ने अपनी बेटी की शादी के ज़रिए अपनाई।लेकिन ये दोनों ही नीतियाँ नाकाम रहीं, और अहलेबैत (अ.स.) का नूर पूरी धरती पर फैल गया।

अरब समिट के बारे में उन्होंने कहा कि बग़दाद में हुआ यह सम्मेलन एक सकारात्मक क़दम है। इराक़ी सरकार ने इसकी सफलता के लिए पूरी सुरक्षा और राजनीतिक कोशिशें कीं।

इराक़ी चुनावों पर बोलते हुए कहा कि चुनाव, जनता की इच्छा का प्रतीक हैं और मौजूदा हालात में इस्लाह का सबसे अच्छा ज़रिया हैं। उन्होंने कहा कि चुनावों का बहिष्कार करना इराक़ को तबाह करने के बराबर है।

दीन और हिजाब के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह ज़माना दीन का है और दीन ही कामयाबी की कुंजी है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने हिजाब को महिलाओं की आज़ादी का प्रतीक बताया, और कहा कि यह धर्म को इस्तेमाल करने की कोशिश है।

पहले यही पश्चिमी लोग हिजाब को आज़ादी के ख़िलाफ़ ज़ुल्म कहते थे और आज इसे आज़ादी का ज़रिया मान रहे हैं। लेकिन हमें पूरा यक़ीन है कि यह दौर, ख़ुदा के फ़ज़्ल से, दीन का दौर है।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha