हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,हमें धर्म पर अमल करने में घमंड नहीं करना चाहिए। यह जो आपको हुक्म दिया गया है हर रोज़ दस मर्तबा पाँच नमाज़ों में, हर नमाज़ में दो बार कम से कम कहते रहिए (एहदेनस सेरातल मुस्तक़ीम) “(ऐ अल्लाह!) हमें सीधे रास्ते की (और उस पर चलने की) हिदायत करता रह”
यह इसलिए है कि हम सबको ज़रूरत है कि हमेशा ख़ुद को याद दिलाते रहें कि सीधा रास्ता मौजूद है जो निश्चित तौर पर वही अल्लाह की बंदगी का रास्ता है।
अल्लाह की इबादत व बंदगी की राह पर चलें और अल्लाह के अलावा अपने मन सहित हर चीज़ की बंदगीसे दूर रहें, क्योंकि यह बात मुमकिन है कि हम इस सीधे रास्ते से हट जाएं इसलिए गिड़गिड़ा, गिड़गिड़ा कर अल्लाह से दुआ करते हैं कि ऐ अल्लाह हम को अपनी बंदगी के इस सीधे रास्ते पर बाक़ी रख।
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