۳ آذر ۱۴۰۳ |۲۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 23, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / यह आयत हमें याद दिलाती है कि ज्ञान और मार्गदर्शन को महत्व दिया जाना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में इसे त्रुटि और धोखे के रास्ते पर नहीं डालना चाहिए। यह हमें सच्चाई और मार्गदर्शन के मार्ग पर चलने और हमें गुमराह करने वालों से सावधान रहने की चेतावनी देती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم  बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ أُوتُوا نَصِيبًا مِنَ الْكِتَابِ يَشْتَرُونَ الضَّلَالَةَ وَيُرِيدُونَ أَنْ تَضِلُّوا السَّبِيلَ   अलम तरा ऐलल लज़ीना ऊतू नसीबन मिनल किताबे यशतरूनज़ ज़लालता व योरीदूना अन तज़िल्लुस सबीला (नेसा 44)

अनुवाद: क्या तुमने उनको नहीं देखा जिनको किताब का एक छोटा हिस्सा दिया गया, कि वह गुमराही का काम करते हैं और चाहते हैं कि तुम गुमराह हो जाओ।

विषय:

यह आयत उन लोगों के बारे में है जिन्हें अल्लाह ने किताब का कुछ ज्ञान दिया, लेकिन उन्होंने इस ज्ञान का इस्तेमाल सच्चाई से भटकाने और गुमराह करने के लिए किया। दूसरों को गुमराह करने की कोशिश करने वालों की भी पहचान की जाती है।

पृष्ठभूमि:

यह आयत बनी इस्राइल और किताब वालों के कुछ समूहों की ओर इशारा करती है, जो सच्चाई को पहचानने के बावजूद उसे छिपाते या बदलते थे। उनका इरादा अपने फ़ायदे के लिए लोगों को गुमराह करना था, भले ही उनका मार्गदर्शन किया गया हो।

तफ़सीर:

1. अहले किताब की गुमराही: आयत से पता चलता है कि किताब वालों में से कुछ लोगों ने अपने इल्म को हिदायत के बजाय गुमराही की राह पर चलाया।

2. सत्य पर व्यापार: उन्होंने धर्म और सत्य पर सांसारिक हितों को प्राथमिकता दी और गुमराही का रास्ता अपनाया।

3. दूसरों को गुमराह करने की कोशिश: उनका इरादा दूसरों को मार्गदर्शन के रास्ते से भटकाना था, जो एक गंभीर अपराध है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • ज्ञान का दुरुपयोग: अल्लाह द्वारा दिए गए ज्ञान का दुरुपयोग करना और उसे सांसारिक हितों के लिए उपयोग करना एक निंदनीय कार्य है।
  • गुमराही से निपटना: यह रवैया व्यक्ति के आध्यात्मिक विनाश का कारण बनता है, क्योंकि गुमराही का विकल्प उसे अल्लाह की दया से दूर ले जाता है।
  • मुसलमानों को चेतावनी: यह आयत मुसलमानों को चेतावनी देती है कि वे ऐसे लोगों का अनुसरण करने से बचें जो उन्हें गुमराह करने की कोशिश करते हैं।

परिणाम:

यह आयत हमें याद दिलाता है कि ज्ञान और मार्गदर्शन को महत्व देना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में इसे त्रुटि और धोखे के रास्ते पर नहीं रखना चाहिए। यह हमें सच्चाई और मार्गदर्शन के मार्ग पर चलने और हमें गुमराह करने वालों से सावधान रहने की चेतावनी देती है।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए नेसा

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