हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर; इत्रे क़ुरआन: सूरा ए हम्द की आयत 5 और 6 की तफ़सीर
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وإِيَّاكَ نَسْتَعِين इय्याका नाबूदू वा इय्याका नस्तईन (फातिहा 5)
अनुवाद: परवरदिगार हम तेरी ही इबादत करते है और तुझ ही से मदद चाहते हैं।
📕 क़ुरआन की तफ़सीर 📕
1️⃣ केवल अल्लाह ही इबादत के योग्य है।
2️⃣ अल्लाह की रुबूबीयत पर ईमान, उसका रहमत बरसाना, कयामत के दिन सवाब का मालिक होना, ये बातें इंसान को अल्लाह की इबादत करने के लिए प्रेरित करती हैं।
3️⃣ खुद को अल्लाह की उपस्थिति में महत्वहीन समझना उसकी बंदगी के शिष्टाचार में से एक है।
4️⃣ एकमात्र वास्तविकता या संस्था जिससे मदद मांगी जा सकती है, वह अल्लाह की सबसे पवित्र इकाई है।
5️⃣ इस तथ्य के बावजूद कि मनुष्य अल्लाह की इबादत पर इख्तियार रखता है, अल्लाह की सहायता के बिना इबादत करने की ताकत नहीं रखता।
6️⃣ मनुष्य को अपने सभी मामलों में अल्लाह की सहायता और समर्थन की आवश्यकता होती है।
7️⃣ एकेश्वरवादियों की इच्छा है कि सभी लोग ईश्वर से डरने वाले और एकेश्वरवादी प्रथाओं के प्रति आश्वस्त हों।
اِهْدِنَا الصِّرَاطَ المُسْتَقِيمَ इहदि नस सिरातल मुस्तक़ीम (फातिहा 6)
अनुवाद: सीधे रास्ते पर हमारा मार्गदर्शन करते रहो
📕 क़ुरआन की तफ़सीर 📕
1️⃣ अल्लाह की बारगाह मे दुआ करने का आवश्यक परिणाम सीधे रास्ते की प्राप्ति है।
2️⃣ इंसान को हमेशा अल्लाह तआला की हिदायत और मार्गदर्शन की जरूरत होती है।
3️⃣ इंसान अल्लाह तआला की मदद और सहारे के बिना सीधे रास्ते पर नहीं चल सकता।
4️⃣ अल्लाह तआला और उसकी सिफात पर विश्वास करना 'सीधा रास्ता' है।
5️⃣ मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपस्थिति में दुआ बहुत प्रभावी है।
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📚 तफ़सीर राहनुमा, सूरा ए फातिहा
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