۱۷ آذر ۱۴۰۳ |۵ جمادی‌الثانی ۱۴۴۶ | Dec 7, 2024
बातचीत

हौज़ा / इस्लाम यह सिखाता है कि सभी मनुष्य बराबर हैं और एक-दूसरे का सम्मान करना अनिवार्य है। अगर इस्लाम की शिक्षा को समाज के नियमों में जगह दी जाए, तो सभी धर्मों के बीच भाईचारे को बढ़ावा दिया जा सकता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मौलाना सय्यद साजिद मोहम्मद रिजवी ने हौज़ा न्यूज़ के सात बात चीत मे इस्लामी दृष्टिकोण से भारत के मौजूद हालात पर प्रकाश डाला जिसको हम अपने प्रिय पाठको के लिए प्रस्तुत कर रहे है।

हौज़ा न्यूज़: आप भारत के वर्तमान हालात को कैसे देखते हैं?
मौलाना सय्यद साजिद मोहम्मद: भारत आज सामाजिक समरसता, आर्थिक असमानता और शिक्षा की कमी जैसे कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। लेकिन ये समस्याएं बेहतर रणनीति और सहयोग से हल की जा सकती हैं। इस्लाम एक ऐसा जीवन दर्शन प्रदान करता है जो शांति, न्याय और समानता पर आधारित समाज की नींव रख सकता है।

हौज़ा न्यूज़:बढ़ती सांप्रदायिकता पर आपका क्या विचार है?
मौलाना सय्यद साजिद मोहम्मद: सांप्रदायिकता का बढ़ना देश की एकता और विकास के लिए नुकसानदेह है। इस्लाम यह सिखाता है कि सभी मनुष्य बराबर हैं और एक-दूसरे का सम्मान करना अनिवार्य है। अगर इस्लाम की शिक्षा को समाज के नियमों में जगह दी जाए, तो सभी धर्मों के बीच भाईचारे को बढ़ावा दिया जा सकता है।

हौज़ा न्यूज़: युवाओं को इस्लाम किस प्रकार प्रेरित करता है?
मौलाना सय्यद साजिद मोहम्मद: युवा किसी भी समाज की रीढ़ होते हैं, और इस्लाम उन्हें ईमानदारी, परिश्रम और ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।  युवाओं को चाहिए कि वे इस्लाम के उन मूल्यों को अपनाएं जो समाज की बेहतरी और मानवता की सेवा की दिशा में उनका मार्गदर्शन करते हैं।

हौज़ा न्यूज़:इस्लाम के आर्थिक सिद्धांत भारत में किस प्रकार उपयोगी हो सकते हैं?
मौलाना सय्यद साजिद मोहम्मद: इस्लाम का आर्थिक मॉडल ज़कात, सदका और खैरात जैसे सिद्धांतों पर आधारित है, जो धन के समान वितरण को सुनिश्चित करता है। अगर इन सिद्धांतों को अपनाया जाए, तो समाज से गरीबी को कम किया जा सकता है। भारत जैसे देश में, इस्लामी आर्थिक सिद्धांत समाज में समानता और सहानुभूति को बढ़ावा दे सकते हैं।

हौज़ा न्यूज़: इस्लाम के अनुसार धर्म और दुनिया में संतुलन कैसे बनाया जा सकता है?
मौलाना सय्यद साजिद मोहम्मद: इस्लाम धर्म और दुनिया को अलग नहीं मानता, बल्कि दोनों को एक-दूसरे का हिस्सा मानता है। कुरान में कहा गया है: "दुनिया में अपना हिस्सा न भूलो, और आख़िरत के लिए भी तैयारी करो।" अगर भारतीय समाज इस्लामी नैतिक मूल्यों को अपने जीवन का हिस्सा बनाए, तो यह सामाजिक न्याय और विकास में मददगार साबित हो सकता है।

हौज़ा न्यूज़: इन परिस्थितियों में इस्लाम को समाज के लिए लाभकारी कैसे बनाया जा सकता है?
मौलाना सय्यद साजिद मोहम्मद: इस्लाम की विशेषता उसकी सार्वभौमिक शिक्षाओं में है, जो हर समाज के लिए उपयोगी हैं। हमें इस्लाम को केवल एक धर्म के रूप में नहीं, बल्कि एक पूर्ण जीवन शैली के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए। इसमें हर धर्म के साथ न्याय, मानवता की सेवा और सभी के अधिकारों की रक्षा शामिल है।

भारत जैसे विविध देश में इस्लाम केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी वर्गों के लिए शांति, विकास और भाईचारे का संदेश दे सकता है। हमें इस्लाम की सही शिक्षाओं को अपने आचरण के माध्यम से प्रस्तुत करना चाहिए ताकि देश में एकता, सद्भाव और विकास का माहौल बन सके।

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