शनिवार 8 नवंबर 2025 - 18:40
मोमिन की खुशी और ग़म अहले बैत अलैहेमुस्सलाम के अनुसरण में हैः मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी

हौज़ा / मुंबई की ख़ोजा शिया इसना अशरी जामा मस्जिद में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने नमाज़े जुमा के ख़ुत्बे में कहा कि मोमिन की खुशी और ग़म अहले बैत अलैहेमुस्सलाम के अनुसरण में होते हैं, और हमारी फ़त्ह उस अज़ान और नमाज़ के सिलसिले में है जो फ़त्ह-ए-हुसैनी का ऐलान है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई / ख़ोजा शिया इसना अशरी जामा मस्जिद पालागली मुंबई में नमाज़े जुमा 7 नवम्बर 2025 को हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी के नेतृत्व में अदा की गई।
मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की हदीस शरीफ़ “हमारे शिया हमारी खुशी में खुश होते हैं और हमारे ग़म में ग़मगीन होते हैं।” बयान करते हुए फ़रमाया: हमारी न अपनी कोई खुशी है और न ही अपना कोई ग़म है। हम अहले बैत अलैहिमुस्सलाम की खुशी में खुश होते हैं और उनके ग़म में ग़मगीन होते हैं। कल हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का यौमे शहादत था इसलिए हमने ग़म मनाया, आज इमाम ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम का यौमे विलादत है लिहाज़ा हम खुश हैं।

मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने अपने उस्ताद आलिमे दीन अल्लामा सय्यद वसी मोहम्मद (आ) का तज़किरा करते हुए फ़रमाया: जब उनकी वालिदा का इंतक़ाल हुआ और हम सब दफ़्न के बाद वापस आए तो वह रात किसी मासूम की विलादत की रात थी। लिहाज़ा मरहूम उस्ताद ने फ़रमाया “आज हम ग़म नहीं मनाएँगे, आज हम मजलिस नहीं करेंगे बल्कि आज की रात महफ़िल होगी जिसमें मैं खुद भी पढ़ूँगा।” क्योंकि हमारे ग़म और खुशी को आले मोहम्मद अलैहिमुस्सलाम की खुशी और ग़म पर कोई फौक़ियत नहीं है। हम उनके ताबे हैं, वे जब खुश होंगे तो हम भी खुश होंगे, और जब वे ग़मगीन होंगे तो हम भी सोगवार होंगे।

इमाम ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम के दौर-ए-इमामत के पर-आशूब माहौल का ज़िक्र करते हुए मौलाना सैय्यद अहमद अली आबिदी ने फ़रमाया: वह ऐसा पर-आशूब दौर था कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत हो चुकी थी, मक्का और मदीना की हरमतें पामाल हो चुकी थीं, ज़ुल्म का हर तरफ बोलबाला था। लेकिन इमाम ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम ने ऐसे माहौल में भी दीन की इस तरह तबलीग़ और तहफ़्फ़ुज़ फ़रमाया कि आज दीन हम तक पहुँच गया।

अबदुल्लाह बिन जुबैर का ज़िक्र करते हुए मौलाना सैय्यद अहमद अली आबिदी ने कहा कि यह वही अबदुल्लाह है जो अपने बाप की गुमराही का सबब बना। उसको आले मोहम्मद अलैहिमुस्सलाम से इतनी दुश्मनी थी कि यह जुमा के ख़ुत्बों में अहले बैत अलैहिमुस्सलाम का नाम तक नहीं लेता था। इसलिए ऐसी औलाद से पनाह माँगनी चाहिए जो अपने वालिदैन की गुमराही का सबब बने।

मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने आगे फ़रमाया: यही अबदुल्लाह बिन जुबैर ने इमाम ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम से वाक़ेआ-ए-कर्बला के बाद पूछा: कौन जीता? तो इमाम ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: जब अज़ान का वक़्त हो और अज़ान दी जाए और नमाज़ पढ़ी जाए तो समझ जाना कि हम आले मोहम्मद (अलैहिमुस्सलाम) जीत गए हैं। यह अज़ान हमारी फ़तेह का ऐलान है, यानी यह अज़ान फ़तेहे हुसैनी का ऐलान है।

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