हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर उच्च न्यायालय में वार्षिक अली डे का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में शिया और सुन्नी वकीलों ने भाग लिया था। शिया सुन्नी वकीलो ने बड़ी संख्या मे भाग लिया, सभा के विशेष अतिथि मौलाना सैयद अहमद इक़बाल रिज़वी ने सभा को संबोधित करते हुए कहाः कि जब तक मौला अली (अ.स.) के फ़ैसलों को इसमें शामिल नहीं किया जाता, तब तक हमारे क़ानून का सिलेबस पूरा नहीं हो सकता क्योंकि पैगंबर (स.अ.व.व.) के कथनानुसार अली (अ.स.) इस उम्मत में बेहतरीन जज हैं। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण खोलफा-ए-राशेदीन का युग है जिसमें जब भी सहाबा को कोई निर्णय लेने में कठिनाई होती थी, वो मौला अली (अ.स.) को पुकारते यहा तक कि अबू बकर, उमर और उस्मान को भी कहना पड़ा कि अगर अली न होते, तो हम ख़त्म हो जाते। इससे मौला अली (अ.स.) के व्यक्तित्व और उनके फैसलों के महत्व को समझा जा सकता है।
उन्होने वकीलों से आगे बात करते हुए कहा, इस देश में केवल मुस्लिम वकील ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में गैर-मुस्लिम वकील और अदालतें भी हैं, अगर वे मौला अली (अ.स.) के व्यक्तित्व और मौला अली (अ.स.) के फैसलों को ध्यान रखे तो समाज में न्याय स्थापित किया जा सकता है और न्याय की इस प्रणाली से जो लोगो का विश्वास उठ गया है उसे भी बहाल किया जा सकता है।
कार्यक्रम के अंत में, उन्होंने इमाम के शीघ्र पुन: प्रकट होने के लिए दुआ की और आशा व्यक्त की कि इंशाअल्लाह इमाम की पुन: उपस्थिति जल्द ही होगी और इमाम के पुन: प्रकट होने के साथ, पूरे ब्रह्मांड में न्याय होगा।
अंत में, जब भी कोई मंत्री शपथ लेता है, तो उससे उसी शपथ पत्र पर शपथ लेनी चाहिए जो मौला अली (अ.स.) ने मालिक-ए-अशतर को राज्यपाल नियुक्त करते समय ली थी।