۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
مولانا تقی عباس رضوی

हौज़ा /पैगंबरों के बेअस्त का मकसद खुदा इंसान और ब्रह्मांड के बीच संबंध स्थापित करना था, मगर रसूल अल्लाह( स.ल.व.व.) की बेअस्त का मकसद तौहीद की तरफ दावत देना, लोगों को खुशखबरी और अल्लाह के एतबार से जिंदगी गुजारने का सही तरीका ,शिक्षा और लोगों की शुद्धि के अनुसार जीने के लिए मार्गदर्शन करना, धर्म का पालन कराना और खुदा की इबादत करने का अपना तरीका बना लेना।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली/ अहले बैत(अ.स.) फाउंडेशन हिंदुस्तान के उपाध्यक्ष  मौलाना सैय्यद तक़ी अब्बास रिजवी, ईद मबअस अवसर पर उन्होने अपनी बात मे कहां की 27 रजब का दिन वह शुभ दिन है। जब नुर ने पूरी पृथ्वी को रोशन कर दिया। और इस बात को भी स्पष्ट कर दिया कि
आज! नबूवत और रिसालत का अंत नहीं हुआ है। प्रेम का संदेश दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाया जा सकता है और लोगों को कुफ्र और शिर्क ज़लालत और गुमरही,  पाप और अवज्ञा तमाम बुराइयों से निकालकर सीधे रास्ते पर लगाना यह जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा:लोगों को ईश्वर की इच्छा के अनुसार जीने के लिए मार्गदर्शन करना, आबादी को शिक्षित कराना और शुद्ध कराना, धर्म का पालन कराना। और सभी झूठे देवताओं और खुदा की अपेक्षा करना, एक अल्लाह की पुष्टि, और सभी त्रुटि और गलतफहमी से मुक्ति का स्रोत पर आधारित है।

उन्होंने आगे कहा कि यह कहना सही है कि दुनिया के हर वर्ग के अधिकारों को पैगंबर (स.अ.व.व.) की शिक्षाओं के माध्यम से ही प्रदान किया जा सकता है। इसलिए, इस्लाम धर्म के अंधविश्वास के इस युग को देखते हुए। पैगंबर की सीरत और शिक्षाओ को लेख और पाठ के माध्यम से पैगंबर के उद्देश्य को हमे अपने व्यवहार और कर्मो से दुनिया को अवगत कराने की आवश्यकता है।
सरापा  नूरे इलाही है सरवरे आलम
हर एक पहलू से इनकी हयात रोशन है।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .