۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
सैय्यद हुसैन मोमिनी

हौज़ा / हरमे हज़रत फ़ातिमा मासूमा के वक्ता (ख़तीब) ने कहा: मनुष्य को अपने पापों  का मुहासेबा (हिसाब किताब) करना चाहिए क्योंकि हराम के पीछे जाने वाले आँख और कान इमामे ज़माना (अ.त.फ.श.) की बातो को स्वीकार करने की क्षमता नहीं रखते हैं ।

हौज़ा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन सैय्यद हुसैन मोमिनी ने हजरत फातिमा मासूम के धर्मस्थल से कल रात संबोधित करते हुए कहा, कुछ लोग इंटरनेट पर अलग-अलग चीजें देखते हैं लेकिन उनके पास मुनाजात (अल्लाह से विनती) और पवित्र कुरान की तिलावत करने का समय नही होता। जबकि पवित्र कुरान की तिलावत मनुष्य की आत्मा को प्रकाशित करता है।

उन्होंने कहा: मनुष्य को अपने पापों  का मुहासेबा (हिसाब किताब) करना चाहिए क्योंकि हराम के पीछे जाने वाले आँख और कान इमामे ज़माना (अ.त.फ.श.) की बातो को स्वीकार करने की क्षमता नहीं रखते हैं ।

धार्मिक शिक्षक ने कहा: गुनाह और निषिद्ध भोजन (लुक़म-ए हराम) से दूरी ऐसी होनी चाहिए कि व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिकता को स्वीकार करने की क्षमता प्रदान की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा: इमाम हुसैन (अ.स.) ने आशूरा के दिन दुश्मन सेना को संबोधित किया और कहा: "निषिद्ध भोजन (लुक़म-ए हराम) कारण बना है कि आप लोगों ने इमाम की आवाज़ को नहीं सुनते"।

हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मोमिनी ने कहा: कोरोना वायरस को मिटाने के लिए, खानदाने इसमत व तहारत से तमस्सुक करना चाहिए क्योकि अहलेबेत (अ.स.) ही अल्लाह की दया के खजाने हैं।

हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ.) के धर्मस्थल (दरगाह) के खतीब ने कहा: मुनाजाते शबानिया इंसान के दिल को मोह लेती है।

हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मोमिनी कहा: पुनरुत्थान (क़यामत) के दिन, मानव कर्मों की प्रतिपूर्ति (हिसाब किताब) बहुत सटीक होगी। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने कर्मो को खुलूस और ईमानदारी के साथ अंजाम दे।

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