मंगलवार 10 अगस्त 2021 - 18:09
जिस्म और दीन की सलामती की हिफाज़त वाजिब है, हुज्जतुल इस्लाम फरहज़ाद

हौज़ा/हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लिमिन हबीबुल्लाह फरहजाद ने कहा: धर्म की रक्षा के लिए शहीदों के लिए अज़दारी करना अनिवार्य है।तमाम मरजय के फतवे के मुताबिक स्वच्छता के सिद्धांतों का पालन करते हुए शरीर की सुरक्षा और धर्म दोनों की रक्षा करना भी अनिवार्य है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लिमिन हबीबुल्लाह फरहजाद ने एक जलसे को खिताब करते हुए कहा, अगर हमने अपने आपको अहलेबैत अ.स. से मुत्तासिल नहीं किया तो हमारी जिंदगी बेकार है, इस दुनिया में हमारी कोई अहमियत नहीं है,
उन्होंने कहा इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से मिले रहने के लिए माहे मोहर्रम का महीना बेहतरीन महीना है और अगर हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से मिले नहीं रहे तो खुदा के नज़दीक हमारी कोई इज्ज़त नहीं है,

उन्होंने कहा अगर दीने इस्लाम कि हुसैन अलैहिस्सलाम हिफाजत ना करते और अपने खून से इसकी सिंचाई ना करते तो इस्लाम खत्म हो गया होता, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने बनी उमैया के मंसूबे पर पानी फेर दिया, हमें इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शुक्रगुज़ार होना चाहिए
दीनी उलूम के उस्ताद ने कहा, हज़रत रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया, जो इमामे हुसैन अलैहिस्सलाम से मोहब्बत करें खुदा उससे मोहब्बत करता है, बस अगर हम चाहते हैं कि अल्लाह के हम महबूब बनी रहे तो हमें अजादारी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को कायम करना चाहिए,
उन्होंने कहा,धर्म की रक्षा के लिए शहीदों के लिए अज़दारी करना अनिवार्य है।तमाम मरजय के फतवे के मुताबिक स्वच्छता के सिद्धांतों का पालन करते हुए शरीर की सुरक्षा और धर्म दोनों की रक्षा करना भी अनिवार्य है।

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