۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
छात्र संगठन

हौज़ा / सभी लोगों से विनम्रतापूर्वक (दर्द मंदाना) अपील है कि माहे रमजान जो (धर्मनिष्ठा का महीना) माहे तक़वा और  (आत्म-अनुशासन) माहे तहज़ीबे नफ़्स है इस महीने मे अपने आप को जैवरे तक़वा से सुशोभित करने और सभी प्रकार के बुराई और प्रदूषण (आलूदगी) से खुद को बचाएं। कभी भी ऐसा कुछ न करें जो धर्म और समाज के लिए हानिकारक हो और अपमान का कारण बने क्योंकि इसकी सजा बहुत गंभीर और दर्दनाक है।

हौजा न्यूज एजेंसी के अनुसार, क़ुम मे रहने वाले भारत के विद्वानो और छात्रो के एसोसिएशन ने एक संयुक्त बयान जारी कर क़ौम के लिए अपील की है। जिसका पूर्ण पाठ इस प्रकार है;

क़ाला अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) अल राज़ी यफइल कौमिन कद्दाखिल फीहे मआहुम "नहजुल बलागाह अलहिकम 151"

सरकारे अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) का इरशाद है : किसी क़ौम के अमल से राज़ी होने वाला उसी क़ौम के अमल मे दाखिल शुमार होता है।

इसलिए, सभी लोगों से विनम्रतापूर्वक (दर्द मंदाना) अपील है कि माहे रमजान जो (धर्मनिष्ठा का महीना) माहे तक़वा और  (आत्म-अनुशासन) माहे तहज़ीबे नफ़्स है इस महीने मे अपने आप को जैवरे तक़वा से सुशोभित करने और सभी प्रकार के बुराई और प्रदूषण (आलूदगी) से खुद को बचाने का अथक प्रयास करें। कभी भी ऐसा कुछ न करें जो धर्म और समाज के लिए हानिकारक हो और अपमान का कारण बने क्योंकि इसकी सजा बहुत गंभीर और दर्दनाक है।

आप सभी जानते हैं कि इस समय अधर्मी वसीम रिज़वी द्वारा किए गए जघन्य कर्म निश्चित रूप से अल्लाह तआला के क़हर और ग़ज़ब और हज़रत मुहम्मद और मुहम्मद उनके परिवार के क्रोध का कारण है।

इसलिए, अल्लाह तआला और अहले-बेत (अ.स.) के क्रोध से बचने के लिए, हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम इस नास्तिक और उसके बुरे कामों को खुले तौर पर नापसंद करें, क्योंकि उसका समर्थन ईश्वरीय धर्म और अहलेबैत (अ.स.)  के खिलाफ विद्रोह है। 

वमा अलैना इल्लल बलाग़

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