हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " तोहफ ए उकूल" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الحسن المجتبیٰ علیہ السلام
إنَّ اللهَ جَعَلَ شَهْرَ رَمَضانَ مِضْمارا لِخَلْقِهِ، فَيَسْتَبِقُونَ فيهِ بِطاعَتِهِ إِلي مَرْضاتِهِ، فَسَبَقَ قَوْمٌ فَفَازُوا، وَقَصَّرَ آخَرُونَ فَخابُوا.
हज़रत इमाम हसन(अ.स.) ने फरमाया:
अल्लाह तआला ने माहे रमजानुल मुबारक को अपने बंदों के लिए मुकाबले का मैदान करा दिया है, जिसमें एक गिरोह खुदा कि अताअत और बंदगी करके सआदत और खुशबख्ती और खुदा की खुशनूदी हासिल करने में एक दूसरे से सबक़त लेते हुए,और एक गिरोह बे तवज्जोही और सहेल अंगारी की वजह से नुकसान उठाता है।
तोहफ ए उकूल,पेंज 234