हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " ग़ेेररुल हिकम" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام العلی علیہ السلام
لا مُظاهَرَةَ أوثَقُ مِنَ المُشاوَرَةِ
हज़रत इमाम अली (अ.स.) ने फरमाया:
मशवरा करने से इत्मीनान बख़्श कोई कोई पुशत पनाह नही हैं।
ग़ेेररुल हिकम, हदीस नं. 10694