۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
डा. ज़ुलफ़ुक़ार हुसैन

हौज़ा/ कुरआन दीने इस्लाम की सबसे विश्वसनीय और आसमान से नाज़िल होने वाली पवित्र किताब हैं। जिसके प्रत्येक शब्द पर वही के पहरे हैं उसमें बातिल रद्दो बदल नहीं कर सकता वो हक के सिवा कुछ नहीं बोलती, उसमें सुलाह और भाईचारा की बातें हैं। अब, यदि कोई भी इस किताब के खिलाफ उंगली उठाये। और कुरान की कुछ आयतों को . अमानवीयता कहकर उसे दूर करने का दुसाहस करते हुए लाखों मुसलमानों के दिलों को चोट पहुँचाता है, तो यह केवल मुसलमानों के बीच घृणा फैलाने का एक असफल प्रयास है।

 हौजा न्यूज़ एजेसी की रिपोर्ट अनुसार, हौज़ा-ए-इल्मिया ईरान मे डाक्टेरेड की पढ़ाई पूरी कर चुके हिंदुस्तान के बरज़्सता विद्वान मौलाना डॉक्टर ज़ुल्फिकार हुसैन ने  अपने एक बयान में कहा कि कुरआन के ऊपर उंगली उठाना मुसलमानों के बीच घृणा फैलाने का एक असफल प्रयास है। उन्होंने कहा कि हर धर्म में दो तरह की किताबें होती हैं, एक पवित्र और दूसरी अपवित्र। पवित्र पुस्तक की पवित्रता अच्छे संदेश और अच्छे शब्दों से आती है। जो लोगों का मार्गदर्शन करती है, और जो पवित्र नहीं है। इसमें मार्गदर्शन का संदेश हो या न हो, लेकिन फिर भी इस पुस्तक का सम्मान होता है, जिसका अर्थ है कि दोनों पुस्तकों का सम्मान किया जाता है, लेकिन अगर इन दो किताबों मे से एक दिव्य किताब हो और वही मुंज़ल के साथ नाज़िल हो तो उसका सम्मान दोगुना हो जाता हैं।
उन्होंने कहा कि मोबिने इस्लाम की सबसे मोतबर किताब और वही मंज़िल के पैकर में नाज़िल होने वाली किताब का नाम कुरान करीम है। जिसके हर शब्द पर वही के पहरे हैं। इसमें बतिल रद्दो बदल नहीं कर सकता,वो सत्य के सिवा कुछ नहीं बोलती। इसमें कोई विकृति नहीं है, इसमें शांति और सामंजस्य की बात है। अब, यदि कोई भी इस पुस्तक के खिलाफ उंगली उठाता है। या कुछ आयतों को अमानवीयता कहकर कुरान करीम से खारिज करने का दुसासन करता है और लाखों मुसलमानों के दिलों को चोट पहुँचाता है तो यह केवल मुसलमानों के दरमियान तफरका  डालने की एक असफल प्रयास है।
अंत में, उन्होंने कहा कि हम इस व्यक्ति की कड़ी निंदा करते हैं और और इस्लाम के उलेमा से अनुरोध करते हैं। कि ऐसे शैतान के भाषण को रोकें! ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा कार्य करने का दुसाहस न करे।

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