۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
رہبر انقلاب اسلامی

हौज़ा/आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने कहां बदलाव लाने के संबंध में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह का रोल सिर्फ़ एक टीचर का नहीं बल्कि आंदोलन में शामिल एक कमांडर की तरह था। बदलाव को पसंद करना और बदलाव लाना इमाम ख़ुमैनी की मुख्य विशेषता थी.

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने कहां बदलाव लाने के संबंध में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह का रोल सिर्फ़ एक टीचर का नहीं बल्कि आंदोलन में शामिल एक कमांडर की तरह था।
बदलाव को पसंद करना और बदलाव लाना इमाम ख़ुमैनी की मुख्य विशेषता थी.
सबसे पहली बात तो यह कि इमाम ख़ुमैनी की शख़्सियत में यह विशेषता बहुत पहले से थी कि वह बदलाव को पसंद करते थे। यह ऐसी चीज़ नहीं थी जो 60 के दशक में इस्लामी क्रान्ति के आगाज़ में उनके वजूद में पैदा हुयी हो, नहीं, वह नौजवानी से ही बद्लाव को पसंद करने वाले इंसान थे।

इसका सुबूत उनकी जवानी अर्थात उम्र के तीसरे दशक में लिखी गयी इबारत है जो उन्होंने स्वर्गीय वज़ीरी यज़्दी की डायरी में लिखी थी और स्वर्गीय वज़ीरी ने इमाम ख़ुमैनी के हाथों लिखी हुयी वह इबारत मुझे दिखायी भी थी। बाद में वह इबारत छपी भी थी और बहुत से लोगों तक पहुंची थी।

इस लिखावट में इमाम ख़ुमैनी ने सूरे सबा की आयत नंबर 46 का ज़िक्र किया है जो लोगों को ईश्वर के मार्ग में उठ खड़े होने का निमंत्रण देती है।

( قُل اِنَّما اَعِظُکُم بِواحِدۃٍ اَن تَقوموا لِلّہِ مَثنىٰ وَ فُرادىٰ)  उनके भीतर इस तरह की भावना थी। उन्होंने इस भावना पर अमल किया।

जैसा कि मैंने ज़िक्र किया, बदलाव लाए। बदलाव के मामले में वे सिर्फ़ ज़बान से आदेश जारी करने तक सीमित नहीं रहे, बल्कि वह ख़ुद भी मैदान में आए। बदवाल का यह दायरा क़ुम में नौजवान धार्मिक छात्रों के एक गुट में अध्यात्मिक बदलाव से शुरू हुआ, जिसकी तफ़सील बाद में बयान करुंगा, ईरानी राष्ट्र में बड़े पैमाने पर बदलाव तक फैला। इमाम ख़ामेनई
3 जून 2020

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