۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
قرآن

हौज़ा/उम्मे हनीफ़ा ने पूरा कुरान लिखकर एक मिसाली काम किया है, जिसे खूबसूरत अंदाज में तरह-तरह की फूल पत्तियों से सजा कर अलग-अलग रंगों से सजाया है जिसको देखने वाला तारीफ किए बगैर नहीं रह सकता

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,
हाफिज़ अबुल बशर इस्लाही उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मौजा मखदूमपुर के रहने वाले हैं। और वह एक मदरसे में पढ़ाते हैं, और उनके घर में तालीमी माहौल है, उनके पास बेटे और चार बेटियां हाफिज़े कुरान हैं।
और शिक्षा अभी भी चल रही है। हाफिज अबू अल-बशीर एक मदरसे में पढ़ाकर अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा करते है।
हाफिज़ अबू अलबशीर की 19 साल की सबसे छोटी बेटी उम्मे हनीफा कोरोना वायरस के दौरान लगाए गए लॉकडाउन का फायदा उठाकर उन्होंने चार महीने की छोटी अवधि में कुरान लिखकर एक महत्वपूर्ण काम किया है।
हाफिज़ अबू अलबशीर ने लोगों को बताया कि हमारी बच्ची बचपन से ही बहुत ज़हिन हैं। 9 साल की उम्र में इसमें पूरा कुरान हिफज़ कर लिया
मेरी बेटी ने लाकडाउन में वीडियो देखकर कुरान शरीफ को लिखना शुरू किया कब मुद्दत में इसने लिखकर कुरान शरीफ को एक नमूना पेश किया है।
इस काम ने मुझे इतना आनंद दिया है कि इसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है और यह अन्य बच्चों के लिए एक प्रकाशस्तंभ है।
उन्होंने कहा कि कई लोगों ने बच्चियों को प्रोत्साहित करने के लिए उपहारों और उपहारों का ढेर लगाया और कई लोगों ने पवित्र कुरान लेने की इच्छा व्यक्त की हैं।
हाफिज़ अबू अलबशीर ने कहा कि पवित्र कुरान का लेखन पूरा हो चुका है लेकिन यह अभी भी सुधार के चरण में है।सही होने के बाद, कई कॉपी और निकाला जाएगी
कुरान शरीफ को आसानी से पढ़ा जा सकता है क्योंकि इससे खत्ते उस्मानी के तौर पर अरबी खत में लिखा गया है,
कई विद्वानों और सूफियों ने लड़की के प्रयासों की प्रशंसा की है।
उम्मे हनीफा ने कहा कि उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर यूट्यूब पर एक वीडियो देखा जिसमें एक लड़की अपने हाथों से कुरान लिख रही थी।
यह देखकर मेरी भी क़ुरान लिखने में रुचि हो गई और मेरे परिवार ने मुझे इस महान कार्य के लिए प्रोत्साहित किया।
चार महीने की छोटी अवधि में कुरान के लेखन को पूरा करने के लिए मैंने लॉकडाउन का लाभ उठाया

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