۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
ग़दीर

हौज़ा / रसूल-अल्लाह हज़रत मुहम्मद स0 के आंख बंद करते ही हज़रत अली के स्थान पर एक अंतरिम पेशवा के तौर पर हज़रत अबुबक्र को ख़लीफा नियुक्त कर दिया गया और तर्क दिया गया कि दूर दूर तक फैले इस्लामी देशों मे कोई और अपने को ख़लीफा नियुक्त ना कर दे इस लिए अंतरिम तौर पर हज़रत अबुबक्र का ख़लीफा बनाया जाना ज़रूरी था। जो कि एक हास्यास्पद तर्क था ये वही बात हुई की आप की जेब कोई काट सकता था इसीलिए हमने काट ली।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी कि रिपोर्ट अनुसार, ईश्वर के अंतिम पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद स0 अपने जीवन के अंतिम हज से जब लौट रहे थे तब ग़दीर ए क़ुम नामक स्थान पर उन्होने मुस्लमानो से इस स्थान पर इक्ट्ठा होने को कहा एक अनुमान के अनुसार 1 लाख 20 हज़ार लोग जमा थे तब हज़रत मुहम्मद स0 ने अपने चचा हज़रत अबुतालिब के पुत्र हज़रत अली अ0 को एक उँचाई पर ले जाकर और उनके हाथ को उठा कर मुसलमानो का आह्वान किया कि मै तुम्हारे नज़दीक दो चीज़ छोड़कर जा रहा हूँ एक क़ुरान दूसरा मेरे एहलेबैत यदि इसमे से किसी एक को भी छोड़ दो गे तो गुमराह हो जाओगे। और साथ ही कहा कि पहचान लो कि मै जिसका मौला (पेशवा) हूँ, उसके ये अली मौला (पेशवा) हैं।

इसके लगभग दो माह बाद हज़रत मुहम्मद (स.अ.व.व.) का स्वर्गवास हो गया। ग़दीर मे हज़रत मुहम्मद (स.अ.व.व.) के द्वारा मौला हज़रत अली (अ.स.) को अपना अधिकारी घोषित किए जाने के बाद से ही उमय्या वंश के लोगों को ये घोषणा अखरने लगी थी और रसूल-अल्लाह हज़रत मुहम्मद स0 के आंख बंद करते ही हज़रत अली के स्थान पर एक अंतरिम पेशवा के तौर पर हज़रत अबुबक्र को ख़लीफा नियुक्त कर दिया गया और तर्क दिया गया कि दूर दूर तक फैले इस्लामी देशों मे कोई और अपने को ख़लीफा नियुक्त ना कर दे इस लिए अंतरिम तौर पर हज़रत अबुबक्र का ख़लीफा बनाया जाना ज़रूरी था। जो कि एक हास्यास्पद तर्क था ये वही बात हुई की आप की जेब कोई काट सकता था इसीलिए हमने काट ली, बहरहाल ईद ए ग़दीर का जश्न वो मुसलमान मनाते हैं जिनहोंने ग़दीर ए ख़ुम मे मुहम्मद साहब के आह्वान को ध्यान पूर्वक सुना और मौला अली के अतिरिक्त कभी किसी को अपना पेशवा नही माना क़ुरान को समझने के लिए अहलेबैत का दामन नहीं छोड़ा और कभी किसी क़ुरानी आयत का ग़लत मतलब निकाल कर आतंक और गुमराही की ओर नहीं गए। 

इस्लाम सब्र और शुक्र का दीन है ये हमने क़ुरान और अहलेबैत से ही सीखा है।
(सही बुख़ारी सही मुस्लिम और दीगर शिया व सुन्नी किताबों की हदीसों की रोशनी मे लेख लिखा गया है)

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