हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " अलआमाली" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول اللہ صلى الله عليه وآله وسلم
إِنَّ اَللَّهَ تَبَارَكَ وَ تَعَالَى جَعَلَ لِأَخِي عَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ فَضَائِلَ لاَ يُحْصِي عَدَدَهَا غَيْرُهُ فَمَنْ ذَكَرَ فَضِيلَةً مِنْ فَضَائِلِهِ مُقِرّاً بِهَا غَفَرَ اَللَّهُ لَهُ مَا تَقَدَّمَ مِنْ ذَنْبِهِ وَ مَا تَأَخَّرَ وَ لَوْ وَافَى اَلْقِيَامَةَ بِذُنُوبِ اَلثَّقَلَيْنِ وَ مَنْ كَتَبَ فَضِيلَةً مِنْ فَضَائِلِ عَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ عَلَيْهِ السَّلاَمُ لَمْ تَزَلِ اَلْمَلاَئِكَةُ تَسْتَغْفِرُ لَهُ مَا بَقِيَ لِتِلْكَ اَلْكِتَابَةِ رَسْمٌ وَ مَنِ اِسْتَمَعَ إِلَى فَضِيلَةٍ مِنْ فَضَائِلِهِ غَفَرَ اَللَّهُ لَهُ اَلذُّنُوبَ اَلَّتِي اِكْتَسَبَهَا بِالاِسْتِمَاعِ وَ مَنْ نَظَرَ إِلَى كِتَابَةٍ فِي فَضَائِلِهِ غَفَرَ اَللَّهُ لَهُ اَلذُّنُوبَ اَلَّتِي اِكْتَسَبَهَا بِالنَّظَرِ
हज़रत रसूल अल्लाह (स.ल.व.व)ने फरमाया:
अल्लाह तआला ने मेरे भाई अली इब्ने अबी तालिब अ.स. को बेशुमार फज़ायेल अता किए हैं, कि जिन्हें सिवाय अल्लाह के कोई शुमार नहीं कर सकता, जो भी इनके फज़ायेल में से किसी एक फज़ीलत का इकरार करते हुए इसे बयान करेगा अल्लाह तआला इसके पिछले और आने वाले तमाम गुनाहों को माफ कर देगा, अगर चे महेश्वर के दिन इसके गुनाह जिन्नात और इंसान के गुनाहों के बराबर क्यों ना हो, और जो भी इनके फज़ायेल में से किसी एक फज़ीलत को लिखेगा, तो जब तक वह लिखा हुआ बाकी रहेगा फरिश्ते इसकी मग़फिरत करते रहेंगे, और जो इनके फज़ायेल में से किसी एक फज़ीलत को सुनेगा तो अल्लाह तआला इसके वह तमाम गुनाह माफ कर देगा जो उसने कान से सुनकर किए होंगे और जो आदमी हज़रत अली अलैहिस्सलाम से फज़ायेल में से किसी एक फज़ीलत को अपनी आंख से देखेगा, तो अल्लाह तआला उसके आंखों से किए गये गुना को माफ कर देगा,
आमालिये सदुक,भाग 1,पेंज 138