हौजा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, शहीद आरिफ अल-हुसैनी फाउंडेशन, के तत्वावधान मजलिस-ए-वहदत-ए-मुसलमीन पाकिस्तान के कार्यालय द्वारा इमाम रज़ा (अ.स.) और उनकी बहन हजरत फातमा मासूमा क़ुम (स.अ.) के जन्म दिवस पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में बड़ी संख्या में विद्वानों और महान छात्रों ने भाग लिया। विशिष्ट अतिथियों और वक्ताओं में अस्तान कुद्स रिज़वी के संचार कार्यालय के नए निदेशक हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन डॉ. फ़राज़ी थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, समारोह की शुरुआत सैयद मुजाहिद हुसैन शिराज़ी द्वारा पवित्र कुरान की आयतो की तिलावत से हुआ। उसके बाद, सर्वश्रेष्ठ मनक़ाबत ख़ान और शायरो ने इमाम को नजरान ए अक़ीदत पेश किए।
हुज्जतुल -इस्लाम वल मुस्लेमीन डॉ. फ़राज़ी निया ने अपनी तक़रीर में आरिफ हुसैन अल-हुसैनी के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हुए कहा कि जब भी मुझे नमाज़े शब पढ़ने की तोफीक मिलती है, तो मैं उन्हें चालीस मोमेनीन के बीच याद करता हूं। डॉ. फ़राज़ी निया ने इमाम रज़ा (अ.) के जीवन पर बात की। इमाम रज़ा (अ) की ज़ियारत के गुण बताते हुए उन्होंने कहा कि इमाम रज़ा (अ) कहते हैं कि जो कोई भी दूर होने के बावजूद मेरी ज़ियारत के लिए आएगा, क़यामत के दिन, मैं उसकी तीन जगहों पर मदद करूँगा और उसे भयावहता से बचाऊँगा। क़यामत के दिन जब लोगों के कर्म उनके दाहिने और बाएं हाथ में दिए जाएंगे, जब पुल को पार करने का समय होगा, तो मैं संतुलन के समय में उसकी शिफाअत करूंगा। उन्होंने आगे कहा कि इमाम जवाद (अ) कहते हैं कि जो कोई भी मेरे पिता की तूस में ज़ियारत को जाता है, अल्लाह उसके अतीत और भविष्य के पापों को क्षमा कर देता है (भविष्य के पाप का अर्थ है उसकी आत्मा पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगी। वह पाप की ओर नही झुकेगा)।
कार्यक्रम का संचालन जनाब बरादर मोहम्मद इमरान नजमी ने किया।