۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
मौलाना इब्ने अली वाइज़

हौज़ा / उलेमा-ए-इलम का निधन समाज के लिए बहुत ही अभाव और दुख का कारण है। बेशक, धार्मिक छात्रों की आपकी ईमानदार सेवाएं, किताबें, शिक्षा और प्रशिक्षण रिजवान-ए-इलाही और आख़िरत का सर्वश्रेष्ठ कारण है ।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के महान धार्मिक विद्वान और शिक्षक मौलाना इब्ने अली वाइज़ र.अ. के निधन पर, मदरसा अल-इमाम अल-क़ायम (अ.त.फ.श.) क़ुम, ईरान ने शोक संदेश भेजा है , जिसका पूरा पाठ इस प्रकार है: 

इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन

हजारों साल नर्गिस अपनी बे नूरी पर रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन मे दीदा ए वर पैदा

अय्यामे अज़ा में, महान बुद्धिजीवी, महान विद्वान, उपदेशक और कवि, शोधकर्ता और लेखक मौलाना इब्ने अली रिजवानुल्लाह अलैह के दुखद निधन ने उपमहाद्वीप में एक ख़ला पैदा कर दिया है जो सदियों महनतो के बाद भी आसानी से पुर नही हो सकेगा। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन धर्म और आले मोहम्मद की सेवा में और छात्रों की शिक्षा और प्रशिक्षण में बिताया। बड़ी सादगी के साथ जीवन के सफर को तय करके दारे आखेरत की ओर चल बसे। यह बड़े अफसोस और दृढ़ विश्वास के साथ कहना पड़ रहा है कि भारत के शिया समुदाय ने इतने सक्षम और प्रख्यात धार्मिक विद्वान से जैसे लाभ उठाना चाहिए था लाभ नहीं उठाया। वो इल्मो अदब का ऐसा चिराग थे जिस से बहुत से दीपक रोशन और अंधेरो को चमकाया जा सकता था बेशक ऐसे उलेमा का दुनिया से चला जाना समाज के लिए बड़ी सख्त महरूमी और दुख का कारण है बेशक, धार्मिक छात्रों की आपकी ईमानदार सेवाएं, किताबें, शिक्षा और प्रशिक्षण रिजवान-ए-इलाही और आख़िरत का सर्वश्रेष्ठ कारण है  अजरोकुम अलल्लाह।

हम इमामे अस्र (अ.त.फ.श.), मराजा ए एज़ाम, शिया राष्ट्र, विशेष रूप से उनके बेटे उलेमा और अन्य प्रियजनों और रिश्तेदारों की सेवा में इस महान त्रासदी पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं, और हम अल्लाह ताला से उनके परिवार को धैर्य प्रदान करने की दुआ करते हैं। 

सहभागी दु: ख: मदरसा ए इमाम आल क़ायम (अ.त.फ.श.) कुम , ईरान के अधिकारी,  शिक्षक और छात्र

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