हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "अलअमाली लिलशजरि" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الصادق علیه السلام:
بُکی الحُسَینُ علیه السلام خَمسَ حِجَجٍ، و کانَت امُّ جَعفَرٍ الکلابِیةُ تَندُبُ الحُسَینَ علیه السلام و تَبکیهِ و قَد کفَّ بَصَرُها.
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) ने फरमायाः
इमाम हुसैन (अ.स.) पर पांच साल तक रौया गया। हज़रत उम्मे जाफ़र अल कलाबिय्याह (हज़रत उम्मुल बनीन) इमाम हुसैन (अ.स.) के ग़म मे मरसिया पढ़तीं और इतना रोई कि आपकी आखों की रोशनी चली गई।
अलअमाली लिलशजरि: खंड 1, पृष्ठ 175