हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मिस्र के पूर्व मुफ्तीयें आज़म और अलअज़हर के उलेमा के ग्रैंड काउंसिल के सदस्य और प्रतिनिधि अली जुमआ से अहले बैत अ.स. के इनके हक़ के बारे में सवाल किया गया कि जिसको अदा करना हर मुसलमान का कर्तव्य है।
मिस्र के पूर्व मुफ्ती ने इशारा करते हुए कहा कि मैं सैय्यदा ज़ैनब स.ल. कि मस्जिद के बरामदे में था तो मैंने एक बहुत ही अज़ीम हदीस को देखा जिसमें लिखा हुआ था कि (मोहब्बतें अहले बैत अ.स. के पाबंद रहो क्योंकि जो आदमी हमारी मोहब्बत के साथ खुदा के सामने जाएगा वह हमारी सिफारिश के जरिए जन्नत में दाखिल हो जाएगा,
मिस्र के पूर्व मुफ्तीयें आज़म मैं फिर कुरान शरीफ की आयत की तिलावत कि
قُلْ لا أَسْأَلُکُمْ عَلَیْهِ أَجْرًا إِلا الْمَوَدَّةَ فِی الْقُرْبَی،
अहले बैत अ.स. से मोहब्बत एक दिली मोहब्बत और दोस्ती का नाम है जो रसूल स.ल.व.व.से मोहब्बत के नतीज़े में हासिल होती है।
मिस्र के पूर्व मुफ्तीयें आज़म ने अहले बैत अ.स. का एहतराम करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा: अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम का दर्जा और मुकाम बाप और बेटे के जैसा होना चाहिए, और हमें चाहिए कि उनसे इस तरह प्यार और मोहब्बत करें जैसे हम अपने बाप से प्यार करते हैं।
उन्होंने अंत में कहा कि अहलेबैत अ.स. तमाम मुसलमानों पर मोहब्बत और मोवद्दत का हक़ रखते हैं। और उनसे मोहब्बत करना हर मुसलमान पर वाजिब है।